प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल की पहली और दूसरी कोरोनावायरस लहर में की गई भविष्यवाणियां काफी हद तक सही साबित हुई। पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों से ओमिक्रोन मामले बढ़ने की आशंका पर प्रो.मणींद्र अग्रवाल ने कहाकि, चुनावों को लेकर मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन इतना कह सकते हैं कि दूसरी लहर में डेल्टा के वक्त पांच राज्यों में भी चुनाव हुए थे, पर डेल्टा का कोई बहुत ज्यादा प्रभाव उन राज्यों में नहीं दिखाई दिया। अब चुनाव टालने या न टालने का निर्णय चुनाव आयोग को यह देखते हुए लेना चाहिए कि तीसरी लहर का पीक फरवरी में होगा।
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अपने गणितीय मॉडल के आधार पर साउथ अफ्रीका से भारत की तुलना के बाद प्रो.मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि, दोनों की स्थिति पापुलेशन और नेचुरल इम्युनिटी एक जैसी है। वहां 17 दिसंबर को ओमिक्रोन पीक पर था, अब वहां ओमिक्रोन के केस होने लगे हैं। साउथ अफ्रीका में नेचुरल इम्युनिटी लगभग 80 प्रतिशत तक है। हॉस्पिटल में भर्ती नहीं कराना पड़ेगा – प्रो.अग्रवाल ने बताया कि, अफ्रीका की जैसे ही भारत में भी इस वेरिएंट के मामले बढ़ेंगे, पर अधिकतर मरीजों को हॉस्पिटल में भर्ती नहीं कराना पड़ेगा। यूरोप में नेचुरल इम्युनिटी कम है, इसके चलते वहां से मामले ज्यादा आ रहे हैं।
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