कानपुर

लोकतंत्र के सर्वोच्च सिंहासन ने बताए कामयाबी के चार मंत्र

आईआईटी- कानपुर के 51वें दीक्षांत समारोह में 1576 मेधावियों को मिली डिग्री, पांच होनहार विद्यार्थियों को विशिष्ट मेडल से नवाजा गया

कानपुरJun 28, 2018 / 04:56 pm

आलोक पाण्डेय

लोकतंत्र के सर्वोच्च सिंहासन ने बताए कामयाबी के चार मंत्र

कानपुर . कामयाबी के लिए काबिलियत का आधार जरूरी है, लेकिन तरक्की और सफलता के लिए चार मंत्रों को जिंदगी का हिस्सा बनाना पड़ता है। ऐसा नहीं करेंगे तो काबिलियत के बावजूद खराब इंजीनियर बनेंगे। यह गुरुदीक्षा आईआईटी- कानपुर के मेधावियों को दीक्षांत समारोह के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देकर राष्ट्रीय जिम्मेदारी का अहसास कराया। राष्ट्रपति ने प्रोफेसर की भूमिका में नई पीढ़ी के इंजीनियर्स को देश और शहर की बेहतरी के लिए योगदान देने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहाकि समाज के लिए कुछ नहीं करने वाले व्यक्ति को कुछ समय बाद लोग भूल जाते हैं, यदि खुद को मील का पत्थर बनाना चाहते हैं कि कुछ ऐसे आविष्कार जरूरी हैं, जिनकी बदौलत जन-सामान्य को राहत मिले।

हुनरमंदों की पीठ थपथपाई, जिम्मेदारी भी समझाई

दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संस्थान के पांच मेधावियों को मेडल देकर सम्मानित किया, जबकि शेष अन्य 1571 छात्र-छात्राओं की डिग्री को सिल्वर स्क्रीन पर अनुमोदित किया। राष्ट्रपति ने कहाकि प्रतिष्ठा के मामले में आईआईटी-कानपुर का जोड़ नहीं है। तीन दशक में संस्थान में समर्पण और योग्यता के बूते देश-दुनिया में स्थान बनाया है। इसी कारण संस्थान के मेधावियों की जिम्मेदारी बनती है कि कानपुर जैसे शहरों के विकास के लिए कुछ आविष्कार करें। इसके साथ ही गंगा को निर्मल बनाने के लिए शोध और विज्ञान का प्रयोग करते हुए नई तकनीक का इस्तेमाल करें, ताकि गंगा नदी पुराने गौरव के प्राप्त कर सके। उन्होंने कहाकि शहरों के विकास और पिछड़े वर्ग की बेहतरी के लिए सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं। उदाहरण के तौर पर अटल अर्बन रिन्यूवन मिशन, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, डिजिटल इंडिया और स्वच्छ भारत मिशन। ऐसी योजनाओं को कामयाब बनाने के लिए आईआईटी के इंजीनियर्स को आगे आना चाहिए।

पांच मेधावियों को महामहिम से हाथों मिला मेडल

कंप्यूटर साइंस और इंजीनियर विभाग के सक्षम शर्मा को प्रेसीडेंट मेडल के लिए चुना गया, जबकि डायरेक्टर गोल्ड मेडल के लिए गणित एवं वैज्ञानिक कम्प्यूटिंग पाठ्यक्रम की कनुप्रिया अग्रवाल तथा इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने वाले सिमरत सिंह ने बाजी मारी है। कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में बीटेक श्रुति अग्रवाल को रतन स्वरूप मेमोरियल अवार्ड दिया गया, जबकि डॉ. शंकर दयाल शर्मा पुरस्कार के लिए अर्जक भट्टाचार्य चुने गए हैं, जिन्होंने मैटीरियल साइंस और इंजीनियरिंग में एमटेक किया है। इसके अलावा सबसे खास आकर्षण रहीं एफीफा, जिन्हें दो वर्षीय पाठ्यक्रम में हरफनमौला प्रदर्शन करने के लिए दूसरे सत्र में मेडल दिया गया। विद्यार्थियों के लिए समर्पण की मिसाल कायम करने वाले आईआईटी -कानपुर के शिक्षक प्रोफेसर सागर चक्रवती को गोपालदास मेमोरियल डिस्टिंग्विशड अवार्ड से सम्मानित किया गया।

महामहिम ने समझाईं जिंदगी की चार बातें

राष्ट्रपति ने मेधावियों को संबोधित करते हुए कहाकि यदि सिर्फ चार बातों को ध्यान में रखेंगे तो जिंदगी के किसी भी मोड़ पर निराशा नहीं होगी। चार बातें यह हैं :-

दूसरों से प्रेरणा लेते रहिए : रामनाथ कोविंद ने मेधावियों को बताया कि आगे बढऩा चाहते हैं तो दूसरे लोगों से प्रेरणा लेनी चाहिए। समाज में बहुतेरे लोग हैं, जिन्होंने हालात के कारण हिम्मत नहीं हारी, बल्कि लड़े-जूझे और आगे बढ़े। आज ऐसे लोग कामयाबी के शिखर पर बैठे हैं। एक सामान्य व्यक्ति भी अपनी, अपने परिवार और अपने इलाके की बेहतरी के लिए कैसे छोटे-छोटे जतन करता है, इसे देख-समझकर प्रेरणा लेंगे तो बड़े आविष्कारों के आइडिया दिमाग में कौधेंगे।

बड़ी सोच और विचारों की साझेदारी :- तरक्की का दूसरा मंत्र है बड़ी सोच। खुद को दिल बड़ा रखिए। समाज के छोटे तबके के लिए भी सोचिए। सिर्फ अपनी बराबरी वालों के बारे में सोचेंगे तो कुछ नया नहीं करेंगे। छोटी-छोटी जरूरतों के हिसाब के नए आविष्कार होंगे तो देश की तरक्की तेज होगी। इसके साथ ही जरूरी है विचारों की साझेदारी। एक-दूसरे के विचार साझा करने से इनोवेशन को नया और उम्दा रूप देना संभव होता है। एक और एक मिलेंगे तो दो नहीं, बल्कि ग्यारह बनेंगे।

अनुशासन सबसे बड़ी जरूरत :- राष्ट्रपति ने समझाया कि अनुशासन के बगैर कामयाबी के कल्पना बेमानी है। उन्होंने कहाकि सिर्फ निजी जीवन में नहीं, बल्कि प्रोफेशनल जिंदगी में भी अनुशासन जरूरी है। यदि किसी काम के लिए डेटलाइन को तय किया है तो अनुशासन कहता है कि उसे वक्त पर समाप्त होना चाहिए। प्रोफेशनल अनुशासन यह भी बताता है कि खुद से किए गए कमिटमेंट को पूरा करने के लिए दिन-रात एक करनी चाहिए। इसी प्रकार आचरण और संवाद में भी अनुशासन नजर आना चाहिए।

दयालु और जिम्मेदार भी बनिए :- सफलता के लिए चौथी जरूरी बात है आचरण। दयालु बनिए और देश-समाज के लिए जिम्मेदार रहिए। राष्ट्रपति ने कहाकि यदि दयालु नहीं होंगे तो अपने से कमतर लोगों के करीब नहीं जाएंगे, उनकी जरूरतों को एसी चेंबर्स में बैठकर नहीं समझ सकते हैं। इसलिए दयालु बनिए। ऐसा करेंगे तो समाज को करीब से जानने-समझने के साथ कुछ नया करने का जोश जागेगा। इसी के साथ समाज और देश की तरक्की के लिए नई पीढ़ी को जिम्मेदारी समझनी होगी। बड़ी जिम्मेदारी को निभाने से पीछे नहीं हटना चाहिए। कुल मिलाकर उपर्युक्त चार बातों पर यकीन करेंगे तो महान बनेंगे।

पुरानी यादों में सहेजते रहे कोविंद

दीक्षांत समारोह को संबोधित करने के दौरान राष्ट्रपति पुरानी यादों को ताजा करते नजर आए। उन्होंने बताया कि 1960 में सिर्फ 100 छात्रों के बैच के साथ आईआईटी- कानपुर में पढ़ाई-लिखाई की शुरूआत हुई थी। आईआईटी से चंद किलोमीटर दूर राष्ट्रपति का निजी आवास है। उन्होंने कहाकि आज संस्थान में 6500 छात्र पढ़ते हैं, जबकि 35 हजार से ज्यादा एल्युमिनाई हैं। उन्होंने कहाकि अपने शहर में ही आईआईटी के दीक्षांत समारोह में शामिल होने का मौका मिला तो खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं।
 

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