40 साल पहले रखी गई थी नींव पनकी पावर प्लांट का निर्माण 1976-77 में कराया गया था। यहां की दो यूनिटों से 660 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता था। लेकिन 25 सितंबर 2013 को पावर हाउस में लगे ब्वायलर लीक होने लगा, जिसके चलते दोनों यूनिटों को बंद करना पड़ा। पनकी पॉवर हाउस में काम कर चुके कर्मचारी अनूप कुमार ने बताया कि चार साल पहले ब्वायलर में गैस लीक होने लगी और रखी भूसी में आग लग गई। ब्वायलर सुपरवाइजर ने किसी तरह से लीक को ठीक किया, पर यहां 75 दिनों के लिए उत्पाइन बंद कर दिया गया। अनूप बताते हैं कि प्लांट पुराना होने की वजह से मशीनें भी ठीक से काम नहीं कर रही हैं। इसी के चलते यहां से कर्मचारियों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया।
660 मेगावाट बिजली का होता था उत्पादन पनकी पावर हाउस में 105-105 मेगावाट की दो यूनिट हैं, जिनसे 660 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता था। कर्मचारियों की माने तो हां बिजली उत्पादन अब घाटे का सौदा हो गया है। क्योंकि मशीनों पुराने जमाने की है, जिसके चलते हर यूनिट के उत्पादन की लागत ज्यादा आती है। अनूप बताते हैं कि पनकी पावर प्लांट में हर महीने कोयला जलाने के लिए तीन सौ किलोलीटर डीजल की खबत होती थी। इस वजह से बिजली उत्पादन की लागत बढ़ रही है। जर्जर उपकरण, दूसरे यूनिटों का बंद होना और गीला और खराब कोयला भी उत्पादित बिजली की लागत बढ़ा देते थे। मशीनों की एक्सपायरी डेट पार हो चुकी है। ऐसे में उनमें ब्लास्ट का भी खतरा है। इसी के चलते अफसरों के कहने पर इस पर ताला जड़ दिया गया।
ब्लास्ट के चलते जड़ा गया ताला अनूप बताते हैं कि यहां लगी तमाम मशीनें पुरानी हो चुकी हैं। इसकी जानकारी पहले भी आला अफसरों को दी जाती रही है। बावजूद इसके अफसरों ने चुप्पी साधे रखी। पनकी में बनना तो हर यूनिट से 105 मेगावाट चाहिए था, लेकिन साल 2010-11 में इसका 53 फीसदी, 2011-12 में 47 फीसदी, 2012 -13 में 39 फीसदी और 2013 -14 में 53 और 2015.2016 में 20 फीसदी बिजली ही बनी। प्लान्ट के प्लांट के असिस्टेंट इंजीनियर जब्बर सिंह ने बताया था कि पनकी में 660 मेगावाट का आधुनिक सुपर क्रिटिकल तकनीकी आधारित यूनिट बननी है। इसकी 275 मीटर ऊंची चिमनी के लिए एनओसी मिल चुकी है।