ममी में तब्दील हो गया शव जानकारी के अनुसार, परिजन बेटे की पत्नी को भी उसके जिंदा होने का विश्वास दिलाते रहे। इसके बाद उन्होंने शव को घर में ही रखा और रोजाना शव पर गंगाजल छिड़कते रहे। वह उसे जिंदा ही मान रहे थे। कुछ महीने तो ऑक्सीजन भी लगाई थी। रोज गंगाजल से तो कभी डिटॉल से शव को पोछते रहते थे। धीरे-धीरे शव सूखता चला गयाए लेकिन मां-बाप की उम्मीदें जिंदा रहीं। दोनों इस कदर अवसाद में थे कि पूछताछ सच्चाई मानने को तैयार ही नहीं थे। डॉक्टरों का दावा है कि माता-पिता की देखभाल के चलते ही शव सड़ नहीं पाया और धीरे-धीरे विमलेश का लंबा चौड़ा शरीर ममी में तब्दील हो गया।
यह भी पढ़े – बदायूं में महिला समेत 4 को फांसी की सजा, बेटी और उसके प्रेमी को उतारा था मौत के घाट पड़ोसियों को भी नहीं लगी भनक शुक्रवार को जब डेढ़ साल से घर में शव रखे जाने की जानकारी हुई तो लोगों के होश उड़ गए। सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस के आते ही हंगामा मच गया। घरवाले पुलिस से पत्नी की हालत ठीक नहीं होने की दुहाई देकर शव न ले जाने की बात कहते रहे। पुलिस अधिकारियों का कहना है की पत्नी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, इसलिए उनसे पति के बीमार होने की जानकारी देकर स्वास्थ्य कर्मियों को बुलाकर शव को एलएलआर अस्पताल भिजवाया गया है। वहीं पड़ोसियों ने पूछताछ में बताया कि उन्हें यही बताया गया था कि विमलेश जिंदा है और कोमा में है। डेढ़ साल से रोजाना घर पर ऑक्सीजन सिलेंडर भी लाए जा रहे थे। जिससे उन्हें विमलेश की मौत का कभी अहसास ही नहीं हुआ।
ऐसे हुआ था मामले का खुलासा सीएमओ डॉ. आलोक रंजन ने बताया कि आयकर विभाग के कर्मचारी हैं। मृत्यु प्रमाणित न होने की वजह से पारिवारिक पेंशन का निर्धारण नहीं हो पा रहा था। इसलिए आयकर विभाग ने सीएमओ से जांच कराकर रिपोर्ट देने का आग्रह किया था। उनके आग्रह पर सीएमओ ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की है। घरवाले विरोध कर रहे थे इसलिए पुलिस बुलानी पड़ी। उनकी मृत्यु डेढ़ वर्ष पहले ही हो चुकी है। डॉ. सुनिति पांडेय, विभागाध्यक्ष ने बताया कि मृत्यु के बाद शव से कुछ दिन सड़न होती है। बदबू भी आई होगी। शव की सफाई करते रहने से बैक्टीरिया, वायरस हटते रहे जिससे मांस सूख गया होगा। तब बदबू नहीं आती। फिलहाल जांच कमेटी ने ईसीजी जांच के बाद शव पुलिस को सौंप दिया। देर रात शव का भैरव घाट स्थित विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार कर दिया।