वीएसएसडी कॉलेज में मॉरीशस में रामायण विषय पर हुई संगोष्ठी में अंतरराष्ट्रीय रामायण केंद्र, मॉरीशस के अध्यक्ष व वरिष्ठ साहित्यकार पं. राजेंद्र अरुण ने कहा कि मॉरीशस में रामायण को श्रद्धा का ग्रंथ और भगवान राम को प्रेरक पुरुष माना जाता है। भगवान राम ने जिस तरह 14 वर्ष का वनवास काटा था और उसी तरह हर व्यक्ति सोचता है कि अभी कष्ट है, जल्द खुशहाली आएगी। पंडित राजेंद्र अरुण ने कहा कि, भारत से ज्यादा मॉरीशस में रामायण का महत्व है। वहां मांगलिक ही नहीं, कर्मकांड में भी रामायण का पाठ होता है।
आयोजित संगोष्ठी मॉरीशस में रामायण का शुभारंभ मुख्य अतिथि मॉरीशस रामायण केंद्र के अध्यक्ष पं. राजेंद्र अरुण ने किया। उन्होंने कहा, बहुत पहले मजदूर अपने साथ रामायण लेकर मॉरीशस गए थे। तब से वहां हर चीज में रामायण का पाठ किया जाता है। हनुमान शब्द पर कुछ दिन पहले हुए हंगामे पर उन्होंने कहा कि हनुमान संस्कृत शब्द हनुमत से बना है, जिस तरह भगवान संस्कृत शब्द भगवत से बना है। सिर्फ मान शब्द का कोई अर्थ नहीं है। एक हिंदू प्रधानमंत्री होने के चलते यहां हर धार्मिक कार्य में मंत्रोच्चार सिर्फ हिंदी में होता है।
आईक्यूएसी की निदेशक व ऋतंभरा पत्रिका की संपादक डॉ. नीरू टंडन ने एक लेखक के हवाले से मॉरीशस के जन्म की कथा बताई। उन्होंने कहा कि सीता हरण के दौरान रावण के कहने पर मामा मारीच सोने का हिरण बनकर आया था और श्री राम ने उसका वध किया था। मरते-मरते मारीच का शरीर मोतियों में बदल गया था। बाद में उन मोतियों को दक्षिण दिशा में फेंका गया था, ये मोती उस दिशा में जहंा पर आकर गिरे थे वहां आज मॉरीशस है।