एनजीटी की रिपोर्ट के बाद डीएम की सख्ती
एनजीटी ने देश में सबसे ज्यादा प्रदूषण वाले शहरों की सूची में कानपुर को चौथा स्थान दिया। इसी के चलते जिला प्रशासन के पैरों के तले से जमीन खिसक गई। कानपुर में बढ़ते प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन गंभीर हो गया और डीएम सुरेंद्र सिंह ने अधिकारियों के साथ बैठक कर शहर को वायू प्रदूषण से बचाने के लिए आदेश दिए। डीएम ने कहा कि शादी, अन्य मांगलिक कार्यों समेत किसी भी समारोह में आतिशबाजी पर रोक लगा दी है। कूड़ा जलाने, खुले में गिट्टी, मिट्टी, मौरंग, बालू ले जाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है जो भी प्रतिबंध की अनदेखी करेगा उसके ऊपर धारा 144 के उलंघन के आरोप में मुकद्दमा दर्ज कराया जाएगा। साथ ही नगर, पुलिस प्रशासन को इस पर नजर रखने के निर्देश भी दिए हैं।
कूड़ा जलाए तो हो सकती है जेल
शहर में बड़े पैमाने पर सीवर लाइन, पेयजल लाइन, विभिन्न विभागों द्वारा केबिल डालने के लिए खुदाई का कार्य भी किया जाता है, जिसके चलते धूल उड़ती है, जिसके कण वातावरण में घुल कर सांस लेने में बंधक बन रहे हैं। इन सब पर भी डीएम ने रोक लगा दी है। डीएम ने बताया कि आतिशबाजी व कूड़ा जलाने से हवा में सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन आदि गैसें मिल जाती हैं। यह सभी गैस शरीर में जाकर सल्फर यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड बन जाती हैं। इस वजह से लोग बिमारियों की चपेट में आ रहे हैं। शहर की हावोहवा को पटरी पर लाने के लिए डीएम ने धारा 144 लगा दी है। इसके तहत कोई भी व्यक्ति प्रतिवंध के वाद भी आतिशबाजी करेगा, कूड़ा जलाएगा, निर्माण सामग्री खुले में ले जाएगा तो उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
कूड़ा जलाने से हवा होती है प्रदूषित
केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड के अधिकारी कुलदीप मिश्रा कहते हैं कि कूड़ा जलाने से स्थिति भयावह हो सकती है। इस पर अंकुश लगाया जाना चाहिए। कूड़े में प्लास्टिक होता है जिससे निकलने वाली गैस के कण भी वायुमंडल में ठहर से गए हैं। वहीं कई स्थानों पर टायर जलाए जाते हैं, यह भी खतरनाक हैं। रात में ठंड बढ़ेगी तो अलाव में प्लास्टिक और टायर जलाना खतरे की घंटी हो जाएगी। कुलदीप मिश्रा कहते हैं कि प्रदूषण की स्थिति तब और खराब हो जाती है जब कहीं भी ट्रैफिक रुकने लगता है। जहां भी जाम रहेगा, वहां वायु प्रदूषण बढ़ेगा और वायुमंडल की नमी में धुएं से निकलने वाले सारे कण बैठ जाएंगे। वहीं ट्रैफिक विभाग के आंकड़े बताते हैं कि कानपुर शहर में सुबह साढ़े नौ बजे से साढ़े दस बजे तक ट्रॉफिक होता है। यहां हररोज 8 से 9 लाख वाहनों का लोड होता है। शाम को साढ़े चार से सवा सात तक भी लगभग इतना ही लोड होता है।
धूल के कण वायुमंडल में घोल रहे जहर
ड़कों पर जहां-तहां चल रही खुदाई प्रदूषण के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है। कहीं भी सड़क खोदते वक्त मानकों का ख्याल नहीं रखा जा रहा। एनजीटी के आदेशों की भी जमकर अवहेलना की जी रही है। जल निगम और केस्को ने शहर की सड़कों को जहां बर्बाद कर दिया है वहीं खुदाई से धूल पर नियंत्रण के लिए कोई इंतजाम नहीं किए। कुलदीप मिश्रा कहते हैं कि खुदाई से धूल के कण वायुमंडल में फंसकर धुंध को बढ़ा रहे हैं। वे कहते हैं कि सड़कों के किनारे फुटपाथ बनाए जाने चाहिए नहीं तो प्रतिदिन उस पर पानी का छिड़काव करना चाहिए। वाहनों के साथ ही फुटपाथ की कच्ची मिट्टी भी हवा में उड़ रही है। फैक्ट्रियों से भी प्रदूषण हो रहा है।