कानपुर

इकलौता देवी माता का मंदिर, जहां भक्त चढ़ाते हैं गाजर-मूली और सब्जी

मंदिर में पुजारी नहीं, बल्कि माली बैठता है और लोगों को प्रसाद के बदले चढ़ाई गई सब्जियां देता है…

कानपुरMar 19, 2018 / 07:26 am

नितिन श्रीवास्तव

कानपुर में इकलौता देवी माता का मंदिर, जहां भक्त चढ़ाते हैं गाजर-मूली और सब्जी

कानपुर. शहर को आर्थिक, क्रांतिकारियों के साथ ही धर्मिक नगरी के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर कई एतिहासिक मंदिर हैं। जिनमें 500 से लेकर 2000 साल प्रतिष्ठित नौदेवी माता के 6 मंदिर हैं। हर मां के मंदिर का अपना अलग महत्व है। नवरात्र पर्व पर इन सभी मंदिरों में हरसाल सैकड़ों की तादाद में भक्त आते हैं और मन्नतें मांगते हैं। अपने दर पर आने वाले भक्तों को मां खाली हाथ नहीं लौटाती उनकी हर मुराद वह पूरी करती हैं। यहां एक ऐसी देवी माता हैं, जिन्हें प्रसाद के रूप में हरी और ताजी सब्जियां चढ़ती हैं। लोग इन्हें बुद्धा देवी के रूप में जानते हैं। नवरात्र के समय उनके दर्शन करने के लिए कानपुर के आसपास के जनपदों से भक्तगण आते हैं और मां के चरणों में लौकी के टुकड़े, बैंगन, पालक, टमाटर, गाजर, मूली और आलू चढ़ाते हैं। मान्यता है कि यहां सब्जियां चढ़ाने से हर मुराद पुरी होती है। मंदिर में पुजारी नहीं, बल्कि माली बैठता है और लोगों को प्रसाद के बदले चढ़ाई गई सब्जियां देता है।
 

मां बुद्धा देवी का मंदिर सराबोर

हटिया बाजार का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। यहां क्रांतिकारियों ने तिरंगा फहराया था तो यहां देश के हर कोने से लोग सामान की खरीदारी करने आते हैं। पर नवरात्र के दिनों में यह इलाका मां के जयकरों की गूंज से सराबोर रहता है। नवरात्र पर्व के दूसरे दिप कानुपर के एतिहासिक बुद्धा देवी मंदिर के अंदर का नजारा अद्भुत था। भक्तों की भीड़ और मां के जयकारों से मंदिर गुलजार था। हर भक्त के हाथ में प्रसाद की डलिया थी, लेकिन इसमें प्रसाद के रूप में सब्जियां रखी हुई थीं। भक्त सब्जियों में लौकी के टुकड़े, बैंगन, पालक, टमाटर, गाजर, मूली और आलू लाए थे। इस मंदिर के पुजारी को पुरोहित या पंडित नहीं, बल्कि राजू माली के नाम से पुकारा जाता है। राजू ने बताया कि नवरात्र पर्व पर दूर-दराज से सैकड़ों की संख्या में भक्त आते हैं और माता रानी के दरवार में हाजिरी लगाते हैं। माता रानी खुश होकर भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं।
 

मंदिर का यह रहा इतिहास

राजू माली के अनुसार, यह मंदिर करीब 100 साल पुराना है। आज जिस जगह मंदिर है, वहां सब्जियों का बगीचा हुआ करता था। उसके देखरेख का काम उनके पूर्वज करते थे। बताया जाता है कि एक बार राजू माली के पूर्वज के सपने में बुद्धा देवी आईं और बोली कि उन्हें इस बगीचे से बाहर निकालो। ये सपना करीब एक हफ्ते तक आता रहा, जिसको लेकर वे परेशान रहने लगे। इसके बाद उन्होंने बगीचे के उस स्थान की खुदाई करने का फैसला किया जहां मां बुद्धा ने खुदाई करने को कहा था। राजू माली के मुताबिक, करीब तीन दिन की खुदाई के बाद देवी बुद्धा की मूर्ति मिली। उनकी मूर्ति मिलने के बाद उन्होंने वहां एक चबूतरा बनवाया और मूर्ति की स्थापना की गई। देवी की मूर्ति सब्जियों के बगीचे से निकली थी, इस वजह उन्हें प्रसाद के रूप में सब्जियां चढ़ाई जाती हैं।
 

किसान आकर लगाते हैं फरियाद

राजू मालू ने बताया कि अंग्रेजों के शासनकॉल के दौरान जिले में सूखा पड़ गया। अंग्रेज लगान के नाम पर किसानों का उत्पीड़न कर रहे थे, तभी आसपास के सैकड़ों किसान चैत्र की नवरात्र पर आकर मां के दरवार पर बैठ गए। पूरे नौ दिन पूजा पाट चलता रहा। किसान अपने साथ सब्जियां लेकर आए और चढ़ाई। साथ ही जो अन्य भक्त आते वह सब्जियां चढ़ाते जिनसे किसानों का पेट भरता। मातारानी की कृपा से जून माह में मानसून ने करवट बदला और जमकर बरसात हुई। किसानों ने फसल की बोवनी की। इसी के बाद से आज भी हरदिन सैकड़ों की संख्या में किसान मंदिर आते हैं और अपने खेतों की लगी हरी सब्जियां मां के चरणों में चढाते हैं। पनकापुर के किसान रनसुख यादव ने बताया कि हम पिछले तीस सालों से मां के दरवार में आते हैं और फसल अच्छी हो इसके लिए सब्जियां मां को अर्पित करते हैं।
 

भक्तों की मुराद पूरी करती हैं मातारानी

राजू माली बताते हैं कि मातारानी के दर पर आने वाला भक्त कभी खाली हाथ नहीं जाता। नवरात्र पर्व पर हर दिन हजारों की तादाद में भक्त मां के दर्शन को आते हैं। इतना ही नहीं कानपुर के अलावा यूपी के कई जिलों से भक्त यहां आकर अपनी मन्नतें मांगते है। भक्त अमन तिवारी ने बताया कि वह करीब 40 साल पहले इस मंदिर में सब्जी चढ़ाने में उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ था। वह यहां हर साल आती हैं। एक और भक्त रूपाली के अनुसार, वह पिछले 10 साल से यहां आती हैं। देवी ने उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी की हैं। उनके आशीर्वाद से ही उन्हें लड़का हुआ है।

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