एक अनुपात में उर्वरक डालना चाहिए सरसों की बोवाई के लिए सितंबर के प्रथम सप्ताह से 15 अक्टूबर तक का समय उत्तम है। बोवाई में प्रति हेक्टेयर 4 से 5 किग्रा बीज लगता है। कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर अरविंद सिंह कहते हैं कि सरसों के अच्छे उत्पादन के लिए प्रति बीघा 5 किग्रा सल्फर उर्वरक जरूर डालना चाहिए। जो किसान सल्फर का प्रयोग न करना चाहें वह प्रति बीघा 50 किग्रा जिप्सम प्रयोग कर सकते हैं। इससे दाना गोल आता है और उत्पादन बढ़ता है। फूल आने से ठीक पहले हल्की सिंचाई जरूरी है। ध्यान रहे कि जलभराव न हो नहीं तो पौधे पीले पड़ने से उत्पादन कम हो जाता है। उपज ठीक हो इसके लिए 15 से 20 दिन की फसल होने पर निराई जरूर करें। फसल में लाइन से लाइन की दूरी 40 सेमी व पौधे से पौधे की दूरी 20 सेमी होनी चाहिए।
टॉपिंग कर बढ़ा सकते उत्पादन सरसों में टॉपिंग यानी पौधे के ऊपरी फूल तोड़ने से फसल उत्पादन में वृद्धि होती है। कृषि वैज्ञानिक के अनुसार पहले शीर्ष के फूल तोड़ने से साइड ब्रांचिंग बढ़ती है जिससे उत्पादन में वृद्धि होती है। खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडीमेथलीन 3.3 लीटर दवा को 800 लीटर पानी में मिलाकर बोवाई के चार दिन बाद छिड़काव करना चाहिए। आरा मक्खी से फसल बचाने के लिए पांच किग्रा मेथाइल पैराथियान का छिड़काव कर सकते हैं।
इन उन्नत किस्मों की करे बुवाई वरुणा टाइप-59, क्रांति, रोहिणी, ऊषा गोल्ड हैं। ऊसर में एनडीआर-850 बोने से उत्पादन बंपर होता है। आरएच-749, 406, आइजे-31 उन्नत किस्में हैं। पछेती बोवाई के लिए वरदान किस्म है। कुशल किसान वही है, जो खेत व मिट्टी के मुताबिक खेत मे उसी किस्म की सरसों के बीजों की बुवाई करे। इसकी बोवाई 15 नवंबर तक कर सकते हैं।