कानपुर

अंतिम संस्कार में टूट रहे कोविड प्रोटोकॉल, श्मशाम से लेकर कब्रिस्तान तक सिर्फ लाशें आ रहीं नजर

श्मशाम घाटों पर अंतिम संस्कार (Antim Sanskar) के लिए 6 से 7 घंटे तक का करना पड़ रहा इंतजार

कानपुरApr 27, 2021 / 02:35 pm

Neeraj Patel

Covid protocol is breaking in funeral

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
कानपुर. कोराना वायरस (Corona Virus) के संक्रमण ने ऐसा कहर बरपाया है, कि हर गली मोहल्ले से मातमी शोर की गूंज सुनाई दे रही है। श्मशाम घाटों से लेकर कब्रिस्तान तक सिर्फ लाशें ही लाशें नजर आ रहीं हैं। शहर के प्रमुख घाटों पर क्षमता से अधिक शव पहुंच रहे। देर रात तक शवों के अंतिम संस्कार (Antim Sanskar) की प्रक्रिया की जा रही है, यहीं हाल कब्रितानों का भी है। घरों पर संक्रमण की वजह से दम तोड़ने वालों को तो 4 कंधे भी नसीब नहीं हो रहे है। अपनों के खोने का गम परिजनों की आंखों से बहते आंसू बयां कर रहे है। श्मशाम घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए 6 से 7 घंटे तक का इंतजार करना पड़ रहा है। कानपुर में हालात इतने बिगड़ चुके है, कि स्वास्थ्य सेवाओं से लेकर श्मशाम घाटों पर होने वाले अंतिम संस्कार की प्रक्रियाएं पूरी तरह से चरमरा गईं है। जिले में ऐसे सैकड़ो संक्रमित पेशेंट है, जिन्हे अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन नहीं मिली, इलाज के अभाव में घरों में दम तोड़ दिया। शहर भर के प्रमुख घाटों में संक्रमितों के शवों के अंतिम संस्कार में कोविड प्रोटोकॉल टूट रहे है।

कोरोना संक्रमित शवों और लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार भैरवघाट और भगवतदास घाट विद्युत शवदाह गृह में किए जा रहा है। इसके साथ ही बड़ी संख्या में संक्रमित घरों पर दम तोड़ रहे है, घरों में दम तोड़ने शव श्मशाम घाटों पर पहुंच रहे हैं। शवों के साथ आए परिजन मास्क की जगह मुंह में गमछा बांधें है। कुछ तो नॉर्मल मास्क लगाए है, बिना पीपीई किट के अंतिम संस्कार कर रहे है। प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्थाए सिस्टम को मुंह चिढ़ा रहीं है। यहां तक देखा गया है कि संक्रमित शवों को अंतिम संस्कार से पहले शव को नहला रहे है।

अंतिम संस्कार में अन्य लोग कर रहे मदद

कोरोना काल (Corona Kaal) में श्मशाम घाटों में ऐसे दृश्य देखने को मिल रहे है, जिसकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। घाटों में ऐसे शव आ रहे है, जिनकों चार कंघे भी नसीब नहीं हो रहे है। घाटों पर मौजूद अन्य लोग अंतिम संस्कार में मदद कर रहे है। इस कदर लोग संक्रमण से डरे सहमें है, कि अपने खास और रिश्तेदारों की शव यात्रा में शामिल होने से घबरा रहे हैं। श्मशाम घाटों पर बने अत्येष्टी स्थलों पर चिताएं जलाने के लिए जगह नहीं है। घाटों पर पहुंच रहे शवों को टोकन दिया जा रहा है। शव के अंतिम संस्कार के लिए 6 से 7 घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं कुछ ऐसे भी घाट जहां पर चिताए जलाने के लिए जगह नहीं मिलने पर गंगा की रेती, घाटों पर बने चबूतरों पर चिताएं जलानी पड़ रही है। श्मशाम घाटों पर सूर्यअस्त के बाद देररात तक अंतिम संस्कार की प्रक्रियाएं की जा रही है।

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देर रात तक धधकती रहीं भट्ठियां

सरकारी आकड़ो के हिसाब से संक्रमण से 18 मौतें हुई है। बीते सोमवार को भैरवघाट विद्युत विद्युत शवदाह गृह में 72 शव पहुंचे थे। भैरवघाट विद्युत शवदाह गृह में शवों का अंतिम संस्कार देररात तक चलता रहा। विद्युत शवदाह गृह के पीछे लकड़ियों से शव का अंतिम संस्कार किया। इसी प्रकाश भगवतदास विद्युत शवदाह गृह में 3 और भगवतदास श्मशाम घाट पर 34 शवों का अंतिम संस्कार किया गया। कानपुर के प्रमुख घाटों पर पहुचें शव। भैरवघाट विद्युत शवदाह गृह में 72 शव, भैरवघाट श्मशाम घाट में 95 शव, भगवतदास विद्युत शवदाह गृह में 3 शव, र्स्वग आश्रम में 91 शव, भगवतदास श्मशाम घाट में 34 शव, बिठूर में 101 शव, सिद्धनाथ घाट में 45 शव, ड्योढ़ी घाट में 60 शव, नजफगढ़ में 28 शव, सफीपुर, नागापुर, ढोमनघाट में 16 शव पहुंचे। वहीं शहर के प्रमुख कब्रिस्तानों में 62 जनाजों को सुपुर्द-ए-खाख किया गया।

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कानपुर में कोरोना वायरस के संक्रमण ने आम जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। शहर में चारो तरफ हाहाकार मचा हुआ है। बेड, ऑक्सीजन की कमी से पेशेंट लगातार दम तोड़ रहे है। जिसकी वजह से कानपुर के श्मशाम घाटों पर चार से पांच गुना अधिक शव पहुंच रहे है। घाटों पर देर रात तक जलती चिताओं के शोर को सुना जा सकता है।

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