चांद छाप यूरिया किसानों को सस्ते दामों पर मिलते थे। जिससे किसानों को काफी लाभ मिलता था। चांद छाप यूरिया के न मिलने से खेती किसानी भी महंगी हो जाएगी। फैक्ट्री में प्रतिदिन दो रैक के यूरिया का उत्पादन होता था। श्रमिक नेताओं का कहना था कि तालाबंदी की पृष्ठभूमि उस समय तैयार होनी शुरू हो गई थी। जब गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड ने गैस की सप्लाई बंद कर दी गई। इसके बाद यूरिया का उत्पादन भी बंद हो गया। केंद्र सरकार से मिलने वाली सब्सिडी भी बंद हो गई।
क्या कहती है फैक्ट्री प्रबंधन?
फैक्ट्री के सीईओ आलोक गौड़ ने बताया कि सरकार किसी प्रकार का सहयोग नहीं कर रही है। खाद पर मिलने वाली सब्सिडी का भुगतान भी बंद कर दिया गया है। श्रम अधिकारी प्रदीप चतुर्वेदी ने बताया कि फैक्ट्री में तालाबंदी कर दी गई है। अब काम नहीं होगा।
क्या कहते हैं कर्मचारी नेता?
अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस के बैनर तले बड़ी संख्या में श्रमिक अपर श्रम आयुक्त कार्यालय पहुंच गए। जहां उन्होंने जमकर नारेबाजी की। सेक्रेटरी असित कुमार ने कहा कि चांद छाप फैक्ट्री के बंद होने से यूरिया की कमी हो जाएगी और किसानों के लिए यह और नुकसान पहुंचाने वाला होगा। खेती भी महंगी भी हो जाएगी।
सरकार पर गंभीर आरोप लगाया
श्रमिक नेताओं ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाया। बोले औद्योगिक प्रतिष्ठानों को बंद करके रोजगार छीनने का काम किया जा रहा है। कर्मचारियों का कहना था कि नियमानुसार 90 दोनों का नोटिस देना चाहिए था जो नहीं दिया गया इस मौके पर जमकर नारेबाजी की। मजदूर एकता जिंदाबाद, मजदूर किसान एकता जिंदाबाद और छटनी बंद करो का नारा लगा रहे थे।