जेल में ही उन्होंने 1933 और 1937 में ऐतिहासिक भूख हड़ताल की। 1937 में सेल्यूलर जेल से बांकीपुर केन्द्रीय कारागार, पटना में लाए गए और 1938 में रिहा कर दिए गए। काला पानी से गंभीर बीमारी लेकर लौटे दत्त फिर गिरफ्तार कर लिए गए और चार वर्षों के बाद 1945 में रिहा किए गए। आजादी के बाद नवम्बर, 1947 में अंजली दत्त से शादी करने के बाद वे पटना में रहने लगे।
पहले क्रांतिकारी थे जो विधायक बने-
बटुकेश्वर दत्त एक ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बंदूक उठाई और आजादी के बाद उन्हें विधान परिषद ने 1963 में विधायक चुनकर भेजा गया था। श्री दत्त की मृत्यु 20 जुलाई 1965 को नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में हुई थी। मृत्यु के बाद इनका दाह संस्कार इनके अन्य क्रांतिकारी साथियों- भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव की समाधि स्थल पंजाब के हुसैनी वाला में किया गया। इनकी एक पुत्री भारती बागची पटना में रहती हैं।
पहले क्रांतिकारी थे जो विधायक बने-
बटुकेश्वर दत्त एक ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बंदूक उठाई और आजादी के बाद उन्हें विधान परिषद ने 1963 में विधायक चुनकर भेजा गया था। श्री दत्त की मृत्यु 20 जुलाई 1965 को नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में हुई थी। मृत्यु के बाद इनका दाह संस्कार इनके अन्य क्रांतिकारी साथियों- भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव की समाधि स्थल पंजाब के हुसैनी वाला में किया गया। इनकी एक पुत्री भारती बागची पटना में रहती हैं।