कानपुर

मायावती को अटल जी मानते थे दलितों की नेता, पार्टी में विरोध के बाद भी सौंपी यूपी की सत्ता

1997 में बीजेपी के नेता अटल जी के निर्णय के थे खिलाफ, बैठक के दौरान एक ऐसा भाषण दिया, जिससे सब विरोधियों के सिर झुके और उनके पक्ष में एक स्वर में रजामंदी दी

कानपुरAug 17, 2018 / 09:58 am

Vinod Nigam

मायावती को अटल जी मानते थे दलितों की नेता, पार्टी में विरोध के बाद भी सौंपी यूपी की सत्ता

कानपुर। पूर्व प्रधानमंत्री व भाजपा के वटवृक्ष अटल बिहारी वाजपेयी अब इस दुनिया में नहीं रहे। 93 साल की आयु में उनका दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में लंबी बीमारी के चलते निधन हो गए। महान नेता, कवि और लेखक के इस दुनिया से चले जाने की खबर से पूरा देश गमजदा है और कानपुर की गलियों में उनके जीवन की चर्चा देरशाम से लेकर भोर पहर तक चाय की दुकानों में जारी हैं। अटल जी ऐसे नेता थे, जिन्हें गठबंधन की राजनीति का शिल्पकार के रूप में जाना जाता है। 1999 में इन्होंने कई दलों के साथ मिलकर केंद्र में सरकार बनाई और पूरे पांच साल तक चलाई। यूपी में मायावती के धोखे से नाराज बीजेपी के नेता उनके साथ दोबारा हाथ मिलाने के खिलाफ थे। लेकिन अटल जी ने पार्टी के अंदर विरोध के बाद भी मायावती 1997 में दोबारा यूपी की सत्ता सौंपी थी।

अटल जी ने ले लिया था निर्णय
राममंदिर आंदोलन के बाद से यूपी की सियासत से कांग्रेस का पत्ता पूरी तरह से साफ हो गया। यहां मुलायम सिंह और मायावती का उदय हुआ। दोनों ने मिलकर चुनाव लड़ा और सरकार बनाई, लेकिन रार के चलते ज्यादा दिनों तक यूपी की सत्ता पर नहीं रह पाए। 1997 में भी यूपी की जनता ने एक दल को मैंडेड नहीं दिया। समाजवादी पार्टी, बसपा, बीजेपी और कांग्रेस के नेता सरकार बनाने के प्रयास कर रहे थे, लेकिन बिना मायातवी के कोई भी यूपी की कुर्सी पर नहीं बैठ सकता था। त्रिशंकु विधानसभा होने के चलते सियासी बाजार गर्म था, तभी एक खबर दिल्ली से निकल कर लखनऊ पहुंची। बताया गया कि बीजपी के समर्थन से मायावती यूपी की मुख्यमंत्री बननें जा रही हैं।

पार्टी ने किया था विरोध
अटल जी ने मायावती को मुख्यमंत्री बनाने का निर्णय ले लिया था और अपने करीबी नेता डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी को मायावती के पास दूत बनाकर भेजा। मायावती और डॉक्टर की जोशी की बात चल रही थी कि तभी पार्टी के अंदर इसका जबरदस्त विरोध शुरू हो गया। अधिकतर नेता मायावती को मुख्यमंत्री बनाए जाने के खिलाफ थे। पर अटल जी ने तय कर लिया था कि अब वो अपने निर्णय से पीछे नहीं हटने वाले। उस वक्त कानपुर से सांसद रहे श्याम बिहारी मिश्रा बताते हैं कि अटल जी ने पार्टी की बैठक में सभी नेताओं को गठबंधन की सियासत के बारे में बताया। अटल जी ने कहा था कि आने वाला वक्त गठबंधन के इर्द-गिर्द घूमेंगा और हमसब को इसके लिए अब तैयार रहना होगा।

इस लिए मायावती को बनवाया सीएम
पूर्व सांसद ने बताया कि बैठक के दौरान अटल जी ने जो बातें कहीं थी आज भी हमें याद हैं। उन्होंने कहा था कि कहीं कोई गड़बड़ी हुई होगी, लेकिन हम यह नहीं भूल सकते कि वह उस समाज से आती हैं जो सदियों से पीड़ित रहा है। सरकार बनने से उस समाज की उन्नत होगी, आगे बढ़ेगा और इसके लिए तमाम अपमान भुला कर हमें आगे बढ़ना चाहिए। पुरानीं बातें कब तक राजनीति में चलेंगी। इनकी अब सियासत में कोई जगह नहीं है। जिसने भी यह भाषण सुना वो सिर झुकाकर बैठ गया। अटल जी की मेहनम रंग लाई और पार्टी के अंदर विरोध कर एक स्वर में मायावती के पक्ष में खड़े हो गए। बीजेपी के समर्थनसे मायावती दोबारा यूपी की मुख्यमंत्री बनीं।

अटल जी को करती थीं रिसपेक्ट
मायावती प्रदेश के इतिहास में 4 बार मुख्यमंत्री के पद पर पहुंचने वाली पहली नेता हैं। मायावती पहली बार जून 1995 में एसपी के साथ गठबंधन तोड़ कर बीजेपी और अन्य दलों के बाहरी समर्थन से मुख्यमंत्री बनीं थीं। तब उनका कार्यकाल महज 4 महीने का था। वह दूसरी बार 1997 और तीसरी बार 2002 में मुख्यमंत्री बनीं और तब उनकी पार्टी बीएसपी का बीजेपी के साथ गठबंधन था। बसपा के कद्दावर नेता व यूपी प्रतिपक्ष के नेता रहे गयाचरण दिनकर बताते हैं कि अटल जी और मायावती के बीच कैमेस्ट्री थी। मायावती पूर्व प्रधानमंत्री को बहुत रिस्पेक्ट करती थीं। इसी का परिणाम रहा कि विरोध के बाचजूद उन्हें खुद अटल जी ने यूपी की सत्ता सौंपी। दलितों के दर्द के बारे में अटल जी जानते थे और वो मायावती से अक्सर कहते थे कि आप ही हैं तो इस समाज का उत्थान कर सकती हैं।

 

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