अपनादल को मिलेंगी चार सीट, 15 सीटों की जिम्मेदारी अनुप्रिया पटेल का राष्ट्रीय राजनीति में बड़ा कद करने के पीछे यूपी की सियासत में सपा-बसपा के संभावित गठबंधन को कमजोर करना है। परिवार की लड़ाई में अपनी मां कृष्णा पटेल से प्रत्येक मोर्चे पर बीस साबित हुई अनुप्रिया पटेल को भाजपा ने यूपी में पिछड़ी जाति के नेता के रूप में स्थापित करना शुरू कर दिया है। अपना दल (एस) के राष्ट्रीय प्रवक्ता बृजेंद्र सचान के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपनादल (एस) के साथ गठबंधन कर उत्तर प्रदेश में 73 सीटों को बरकरार रखने के लिए भाजपा की पहल शानदार है। उन्होंने बताया कि प्रदेश की 15 सीटों पर पटेल बिरादरी के एक से डेढ़ लाख मतदाताओं को एकजुट रखने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और अपनादल (एस) की नेता और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल के बीच 40 मिनट की बातचीत हुई है।
मिशन 2019 के लिए भी अनुप्रिया फायदेमंद होंगी भाजपाई कुनबे को भरोसा है कि अनुप्रिया का गैर विवादित चेहरा भाजपा के लिए चुनाव के वक्त फायदेमंद होगा। इसके साथ ही लोकसभा चुनाव से पहले कुछ दलों के एनडीए से अलग होने के इच्छुक दलों को थामने के लिए भाजपा अनुप्रिया के चेहरे का इस्तेमाल करेगी। इसके साथ ही सहयोगी दलों के मतदाताओं में सही संदेश देने के लिए तय किया गया है कि अनुप्रिया को एनडीए में पिछड़े वर्ग (ओबीसी) का चेहरा बनाया जाएगा। इसके साथ ही अनुप्रिया को मध्यप्रदेश में होने वाले चुनाव में भी स्टार प्रचारक बनाया जाएगा। गुजरात चुनाव में वह ऐसी जिम्मेदारी निभा चुकी हैं।
अपना दल को चार सीटें देने की बन गई रूपरेखा प्रदेश सरकार में अपना दल (एस) की की भागीदारी भी बढ़ाने का फैसला हो चुका है। इस दौरान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और विधान परिषद के सदस्य आशीष सिंह पटेल को अगले विस्तार में कैबिनेट मंत्री पद भी दिया जाना लगभग तय है। लोकसभा चुनाव में अपना दल (एस) को चार सीटें देने की भी रूपरेखा बन गई है। संकेत हैं कि राबटर्सगंज सीट से अपना दल (एस) का ही उम्मीदवार उतारा जाएगा। यूपी के मंथन के दौरान अमित शाह ने प्रदेश मंत्रिमंडल में फेरबदल या विस्तार को लेकर किसी को कोई संकेत नहीं दिए, लेकिन जिस तरह उन्होंने बारीकी से एक-एक बिंदु पर बातचीत की, उससे ताज्जुब नहीं कि निकट भविष्य में कुछ मंत्रियों की कद-काठी पर इसका असर दिखाई पड़े।