दरअसल कन्नौज में बनने वाली इत्र को खरीदते समय ग्राहक उसे जिन शीशियों में पैक करवाते हैं, उनमें ज्यादातर चीन में बनी हुई होती हैं। इत्र की दुकानों में डिस्पले काउंटर पर रखीं चीन की खूबसूरत शीशियों को देखकर ग्राहक उनमें ही इत्र लेना पसंद करते हैं। चीन की शीशियों के आगे किसी दूसरी शीशी में इत्र देने पर ग्राहक इंकार कर देते हैं।
खूबसूरत बनावट और बारीक कशीदाकारी वाली चीन की छोटी-छोटी शीशियां इत्र खरीदने वाले ग्राहकों की पहली पसंद हैं। ऐसे में जब चीन में कोरोना वायरस का असर दूसरे कारोबार पर पड़ रहा है और वहां से आने वाले सामान पर रोक लगा दी गई है तो उसका असर इत्र को सहेजने वाली खूबसूरत शीशियों पर पड़ने की संभावना जताई जा रही है। शीशियों की सप्लाई से जुड़े एक कारोबारी ने बताया कि अभी तो स्टॉक पर्याप्त है। लेकिन अगर चीन में वायरस का असर ज्यादा दिनों तक रहा और वहां से आने वाले सामान पर रोक जारी रही तो यह शीशियां बाजार से गायब हो सकती हैं।
दूसरी शीशियों पर भारी पड़ती हैं चीन की शीशियां :- इत्र के कारोबार से जुड़े लोग बताते हैं कि इत्र खरीदने वाले 70 से 80 प्रतिशत ग्राहक चीन की शीशियों में ही इत्र लेना पसंद करते हैं। वह न सिर्फ दूसरी शीशियों के मुकाबले कम कीमत में मिलती हैं, बल्कि उनकी खूबसूरती भी ज्यादा होती है।
मुंबई के रास्ते यहां आती है शीशियों की खेप :- चीन में बनीं खूबसूरत शीशियां यहां मुंबई के रास्ते आती हैं। इत्र कारोाबार से जुड़े लोग बताते हैं कि मुंबई में यह शीशियां कंटेनर से आती हैं। उसके बाद उन्हें यहां अलग-अलग संसाधनों से मंगाया जाता है।
इत्र से भी महंगी शीशियां :- अमूमन दुकानों पर अपनी पसंद का इत्र खरीदने वाले ग्राहक जब शीशी को पसंद करते हैं तो उसकी कीमत इत्र से भी ज्यादा होती है। चूंकि इत्र की चाहत ऐसी होती है कि ग्राहक अपनी पसंद से कम कीमत वाला इत्र खरीदकर उसे महंगी कीमत वाली शीशियों में ही पैक करवाना पसंद करते हैं।
मेहमान नवाजी के काम आती हैं यह खूबसूरत शीशियां :- एक अनुमान के मुताबिक यहां हर महीने लाखों शीशियों की खपत होती है। इन शीशियों में पांच एमएल से लेकर 500 एमएल तक इत्र रखा जा सकता है। इनकी बनावट और सजावट काफी दिलकश होती है। ग्राहक उसके लिए कोई भी कीमत देने को तैयार हो जाते हैं। अपने घर आने वाले मेहमानों के सामने इन शीशियों में रखा इत्र पेश करते समय मेहमान काफी खुशी महसूस करते हैं।