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25 लाख तक कीमतअदरऊद के अलावा शमामा भी अनूठा इत्र है। जो कई तरह की जड़ी-बूटियों, सुगंधित तेलों सहित 41 से अधिक प्राकृतिक अवयवों से बनता है। मिट्टी इत्र भी मशहूर है। एक तरह से यह बारिश की खुशबू को शीशी में कैद करने की कोशिश है। यहां सुगंधित तेलों की कीमत 25 रुपए में एक ग्राम की छोटी-सी शीशी से लेकर 20 लाख रुपए प्रति किलोग्राम तक है। अदरऊद तेल (असम के एक्विलेरिया पौधों से तैयार) की कीमत 25 लाख रुपए प्रति किलोग्राम तक है। रूह गुलाब (गुलाबी गुलाब से निर्मित) का एब्सोल्यूट ऑयल 8 लाख रुपए तक बिकता है।
दुनिया का सबसे महंगा इत्र कन्नौज में बनता है। यहां के इत्र की लोग बेचैनी और तनाव से बचने के लिए भी खुशबू लेते हैं। कन्नौज का इत्र पूरी तरह से प्राकृतिक गुणों से भरपूर होता है। इसमें अल्कोहल का इस्तेमाल नहीं होता। इसलिए यहां के इत्र की दुनियाभर में डिमांड है।
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फारस के कारीगरों से सीखा नुस्खा
कन्नौज में इत्र का इतिहास काफी पुराना है। यहां के लोगों को इत्र बनाने का तरीका और नुस्खा फारस के कारीगरों से मिला। बताया जाता है कि तब मलिका ए हुस्न नूरजहां के लिए गुलाब से एक विशेष प्रकार का इत्र बनता था। अलीगढ़ में उगाये दमश्क गुलाब का इत्र कन्नौज की फैक्ट्री में जब बनता है तो आसपास का माहौल महक उठता है। यहां का गेंदा, गुलाब और मेहंदी का इत्र भी विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
-कन्नौज में हाइड्रो-डिस्टिलेशन तकनीक से बनता है इत्र
-लगभग 200 छोटी, मध्यम और बड़ी डिस्टिलरीज हैं
-एल्कोहल की जगह सुगंधित तेल का होता है इस्तेमाल
-वुडस्की, फ्लोरल, मस्की और एंड्रोजेनस इत्र मशहूर
-फूलों और अन्य अवयवों से निकाले गए सुगंधित तेल से बनते हैं
-यहां के इत्र पानी और तेल में घुल जाते हैं
-मिंट, चमेली, चंदन, ट्यूबरोज और स्पाइसेज तेलों का होता है निर्यात