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Chhattisgarh News: छात्रावासों में भारी बदहाली की व्यवस्था
हॉस्टल के सामने आंगन में बारिश में फीट पानी जमा हो जाता है। तीन कमरे हैं जिसमें 50 बच्चों को रखा जाता है। इसी भवन में कई सालों से छात्रावास संचालित किया जा रहा है। भवन की हालात, कमरे और छत की स्थिति को देखकर लगता है छात्रावास के बच्चों के अलावा दूसरा कोई आदमी एक दिन भी नहीं गुजार सकता है। छात्रावास में आदिवासियों के बच्चे हैं। सरकार ने रहने के लिए प्रबंध किया है। स्कूल में पढ़ना है तो व्यवस्था कितनी भी बदत्तर हो रहना तो पड़ेगा। छात्रावासों में भारी बदहाली की व्यवस्था सुधारने की जरूरत है।खाने में मिलती है सोयाबीन बड़ी और दाल
बालक छात्रावास कोड़ेकुर्से के बच्चों पूछा गया कि कौन-कौन सी सब्जी बनाते हैं। बच्चों ने बताया कि यहां एक समय सोयाबीन बड़ी आलू की सब्जी और दूसरा समय दाल बनाते हैं। कभी-कभी आलू चना की सब्जी बनती है। बच्चों के खाना के लिए प्रतिमाह प्रति बच्चे 15 सौ रूपये शासन से मिलती है। लेकिन 15 सौ रूपये में सिर्फ बच्चों को सोयाबीन बड़ी और दाल ही नसीब होती है। 50 सीटर छात्रावास में 15 सौ रूपये प्रति बच्चे की दर से 75 हजार रूपये बालक छात्रावास कोड़ेकुर्से में शासन राशि आती है। लेकिन बच्चों को सोयाबीन बड़ी और दाल खिलाते हैं, बाकी पैसे कौन खा जाता है ये जांच का विषय है। अधिकारी, जनप्रतिनिधियों को यह सब देखने की फुर्सत कहां है। इसी कारण बच्चे अव्यवस्था की दंश झेल रहे हैं।बिजली के लिए लगी सौर प्लेट भी खराब
विश्व आदिवासी पर पत्रिका के पड़ताल में अव्यवस्था का अंबार दिखाई दिया। बिजली बंद होने पर हास्टल की रोशनी के लिए सौर प्लेट लगाई गई है। छात्रों ने बताया कि सौर प्लेट दो साल से खराब है। कोई काम नहीं आ रहा है। छात्रावास के सामने लाईट लगी है वह भी जलती नहीं है। बालक छात्रावास कोड़ेकुर्से चारों तरफ समस्याओं से घिरा है। आदिवासी समाज भी शिक्षा को लेकर गंभीर है। सामाजिक मंचों में शिक्षा की अव्यवस्था की आवाज उठाती है। वर्तमान शिक्षा नीति की खुलकर विरोध करते हैं, ज्ञापन सौंपते हैं, समाज की मांग को आदिवासी अधिकारी, सांसद, विधायक, मंत्री भी नहीं सुनते हैं। समस्या सुलझने के बजाय उलझी रहती है। यह भी पढ़ें
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मीनू चार्ट के हिसाब ने नहीं मिलता भोजन
Chhattisgarh News: विधायक आदिवासी, सांसद आदिवासी, जनपद अध्यक्ष आदिवासी, जिला पंचायत अध्यक्ष आदिवासी, अधीक्षक आदिवासी, मुख्यमंत्री आदिवासी होने के बाद भी छात्रावासों की बदहाली का सुधार नहीं हो रहा है। छात्रावासों की व्यवस्था सुधारने जिम्मेदार हाथ आगे नहीं बढ़ाते है। कब सुधरेगी छात्रावास की व्यवस्था, कौन सुधारेगा छात्रावास की व्यवस्था, कितने दिन पुराने जर्जर भवनों में भेड़ बकरियों की तरह आदिवासी बच्चे रहेंगे। इस सवाल और अव्यवस्था की जवाब किसी के पास नहीं है। कोड़ेकुर्से छात्रावास में मीनू चार्ट चस्पा किया गया है। शासन की मीनू चार्ट पर सोयाबीन बड़ी और दाल भारी पड़ गई है। प्रभारी मंडल संयोजक बैजनाथ नरेटी ने बताया कि छात्रावास के बच्चों के भोजन के लिए प्रतिमाह प्रति बच्चे 15सौ रूपये दी जाती है। बच्चों को मीनू चार्ट के हिसाब से भोजन और सब्जी खिलाना चाहिए, लेकिन अधीक्षक लापरवाही करते हैं।