कबीरधाम

सावधान! स्कूलों में मोटी फीस, पर क्या इन नियमों का हो रहा पालन..

निजी स्कूल में पेटभर कर फीस लिए जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर 90 फीसदी स्कूल में हजारों बच्चों को न सुविधा मिल रही है और न ही सुरक्षा

कबीरधामSep 14, 2017 / 01:34 pm

चंदू निर्मलकर

कवर्धा. निजी स्कूल में पेटभर कर फीस लिए जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर 90 फीसदी स्कूल में हजारों बच्चों को न सुविधा मिल रही है और न ही सुरक्षा। केवल जैसे तैसे पढ़ाई हो रही है। बावजूद निजी स्कूल की जिला विभाग के अधिकारी जांच करते हैं और न ही जिला प्रशासन के अधिकारी।
शासन द्वारा निजी स्कूल में सुरक्षा व सुविधा के लिए कड़े नियम तैयार किए गए हैं। इसके पालन के लिए कोर्ट द्वारा भी आदेशित किया जा चुका है बावजूद निजी स्कूल की जांच नहीं होती। पालकों से सुविधा और सुरक्षा के नाम पर फीस तो मोटी ली जाती है, लेकिन स्कूल निरीक्षण के बाद हकीकत सामने आती है। ऐसे कई निजी स्कूल हैं जो किराए के भवन और गिनती के कमरे में संचालित हो रहे हैं।
छत नहीं केवल शेड से काम चला रहे हैं। वहीं सुरक्षा के नाम पर कोई सुरक्षागार्ड नहीं है और न ही स्कूल में कहीं सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। बाउंड्रीवाल भी नहीं। मतलब चारों ओर से बच्चे असुरक्षित हैं। क्राइम का ग्राफ बढ़ रहा है। बिना रोकटोक कोई भी अनजान व्यक्ति स्कूल में प्रवेश कर जाते हैं। बिना सुरक्षा कब क्या हादसा हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता। ऐसे में अधिकारियों को प्रत्येक निजी स्कूल की बारिकी से जांच करनी होगी। हरियाणा के निजी स्कूल में जो हादसा हुआ वह अधिकारियों की अनदेखी और सुरक्षा की कमी के कारण ही माना जा रहा है। यह एक सबक है जिस पर जिला प्रशासन को ध्यान देने की आवश्यकता है।
स्कूलों में सुरक्षा की कमी
जिले में कुल 274 निजी स्कूल हैं। इसमें सबसे अधिक 156 प्राथमिक स्कूल हैं और यहीं सुरक्षा की सबसे अधिक आवश्यकता है। कुछ बड़े स्कूल में तो सुरक्षा के गार्ड होते हैं। वहां जांच भी होती है, लेकिन अधिकतर स्कूल में सुरक्षा की कमी है। जबकि सुरक्षा के लिए गार्ड के अलावा स्कूल में प्रवेश करने वालों की जांच-पड़ताल, एंट्री रिकार्ड, सीसीटीवी कैमरा होना आवश्यक है।
बाउंड्रीवाल बेहद आवश्यक
स्कूल परिसर में सुरक्षाघेरा मतलब बाउंड्रीवाल होना आवश्यक है। इससे न तो बच्चे परिसर के बाहर जा सकते हैं और न ही अनचाहे लोग आसानी से स्कूल में प्रवेश कर सकते हैं। लेकिन अधिकतर निजी स्कूल में बाउंड्रीवाल की कमी है, जो बच्चों की सुरक्षा में सेंधमारी है।
ऑटो-टैक्सी भी सुरक्षित नहीं
अधिकतर देखा गया है कि छोटे स्कूल वाहनों में हादसे अधिक होते हैं। यह हल्की ठोकर में ही पलट जाते हैं, जिससे बच्चे चोटिल होती है। छोटे वाहन में बच्चों को ठूंस-ठूंसकर भरा जाता है। वहीं बच्चों को जिम्मा पूरी तरह से सिर्फ ड्राइवर पर होता है। ड्राइवर ही इन्हें चढ़ाता व उतारता है। टीचर भी साथ नहीं होते। ऐसे मेें हादसे का डर बना ही रहता है।
यह होना चाहिए…
– 20 बच्चों पर एक टीचर
– खुद का भवन व बाउंड्रीवाल जरूरी
– बालक व बालिका के लिए अलग-अलग शौचालय
– स्टॉफ के लिए अलग शौचालय
– साफ पानी
– लाइब्रेरी
– सुरक्षा गार्ड
– सीसीटीवी कैमरा
– फायर सेफ्टी सिस्टम
– फस्ट एड बाक्स/कीट

फिलहाल सभी निजी स्कूल से वॉशरूम, खिड़की, दरवाजों की स्थिति शासन स्तर से मांगा गया है, जिसका रिपोर्ट तैयार किया जा रहा है। वहीं सभी नोडल अधिकारियों को कहा गया कि वह सतत् स्कूलों निरीक्षण करते रहे। जो कमी है उसे पूर्ण कराया जाए। जहां लापरवाही दिखाई देगी वहां पर कार्रवाई भी की जाएगी।
एसके पाण्डेयजिला शिक्षा अधिकारी, कबीरधाम

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