जोधपुर

विश्व धरोहर दिवस विशेष : चट्टान पर खड़ा पानी का अनूठा जहाज: शिप हाउस

यह जोधपुर शहर में पुरा महत्व की एक एेसी खूबसूरत और लाजवाब इमारत है जिसे शिप हाउस कहते हैं। यह इमारत चट्टान को काट कर बनाई गई थी। इसे बिल्कुल पानी के जहाज की तरह डिजाइन किया गया है। इतिहास के अनुसार महाराजा सर प्रतापसिंह ने 1886 ई. में नागौरी गेट के पास एक छोटी […]

जोधपुरApr 17, 2017 / 06:00 pm

Harshwardhan bhati

SHIP HOUSE

यह जोधपुर शहर में पुरा महत्व की एक एेसी खूबसूरत और लाजवाब इमारत है जिसे शिप हाउस कहते हैं। यह इमारत चट्टान को काट कर बनाई गई थी। इसे बिल्कुल पानी के जहाज की तरह डिजाइन किया गया है। इतिहास के अनुसार महाराजा सर प्रतापसिंह ने 1886 ई. में नागौरी गेट के पास एक छोटी सी पहाड़ी पर शिप हाउस बनवाया था। यह उन्होंने अपने रहने के लिए बनवाया था। इसका नक्शा जी.जे. ओवरीन ने बनाया था और राज्य के प्रमुख अभियंता होम के निर्देशन में कलात्मक शिप हाउस बना था। यह भवन निर्माण कला का भी अदभुत नमूना है। पानी के जहाज के आकार का होने के कारण इस इमारत को ‘शिप हाउस कहा जाता है। यह तीन मंजिला नायाब इमारत शहर के लिए खूबसूरत भवन है।
सर प्रताप ने बनवाया था

मेहरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट के अनुसार सर प्रताप कदाचित देसी रियासतों के शासक वर्ग में एेसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने उस जमाने में शांति और युद्ध दोनों अवसरों पर सबसे अधिक विदेश यात्राएं की थी। तब विदेश यात्राएं पानी के जहाज से ही होती थीं। सर प्रताप शिप हाउस की इस इमारत में रहने भी लगे थे, मगर कुछ समय बाद उनके एक अंग्रेज मित्र ने सलाह दी कि वे इसमें न रहें,क्यों कि जोधपुर में हवा की गति प्राय: पश्चिम से पूर्व की ओर रहती है और यह शिप हाउस नगर की आबादी के पूर्व में है और सारे शहर की प्रदूषित वायु इधर ही आएगी। इस पर सर प्रताप ने शिप हाउस में रहना छोड़ दिया।
कभी रेडियो स्टेशन भी था

शिप हाउस में 25 जनवरी 1949 को जोधपुर ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन का उद्घाटन किया गया जो कुछ वर्षों तक चला। यहां प्रख्यात सरोदवादक उस्ताद अली अकबर खां संगीत विभाग और मशहूर शायर रमजी इटावी उर्दू सेक्शन के इंचार्ज थे। आजादी के बाद यहां कई सरकारी विभाग भी रहे और कुछ फिल्मों की शूटिंग भी हुई, मगर अब शिप हाउस पर जाने का मार्ग ही बहुत खराब हो चुका है। पहले कभी इस भवन तक पहुंचने के लिए रैलिंग लगी थी और सड़क भी बहुत अच्छी थी, यहां खड़े होने पर पानी के किसी जहाज के डैक का सा एहसास होता था, मगर अब यहां झाडि़यां उग आई हैं और नीचे तो हर समय कचरा रहता है। 
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