Rajasthan News: अमरीका और यूरोप सहित अन्य विकसित देशों की तुलना में हिंदुस्तानियों को दिल की बीमारी 10 साल पहले हो रही है। यह आईसीएमआर के रिसर्च में सामने आ चुका है। पत्रिका ने इसी शोध पर हृदय रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों के साथ मिलकर एक रिसर्च किया।
पिछले कुछ माह में आए मरीजों के पैटर्न, उनके आहार, उनकी दिनचर्या और उम्र के आंकड़ों से यह पाया कि करीब 20 साल पहले मारवाड़ियों से लेकर भारतीयों में दिल की बीमारी होने की औसत उम्र 60 वर्ष थी। वह अब 45 वर्ष रह गई है। यानि हर तीसरे व्यक्ति को 45 वर्ष की उम्र में दिल की बीमारी हो सकती है। जोधपुर मेडिकल कॉलेज में आने वाले मरीजों के आंकड़ों के अध्ययन से यह सामने आया है। विश्व हृदय दिवस पर पढ़िए एक्सपर्ट की नजर से इस खतरे को…
अब ब्लॉकेज नहीं दिल हो रहा कमजोर
कोई भी वायरल बीमारी जिसमें कोविड भी शामिल है दिल पर बड़ा असर डालती है। मेडिकल कॉलेज में ऐसे केस भी सामने आए। इनमें खून की नली में कोई लॉकेज नहीं मिलता, लेकिन इको करने पर धड़कन कम होने और दिल के कमजोर होने के संकेत मिल रहे हैं। यह आने वाले कल के लिए अलार्मिंग स्थिति है।जिम लवर्स को खतरा सबसे ज्यादा
अपने आपको फिट रखने के फेर में जिम लवर्स में दिल की बीमारियों का खतरा ज्यादा सामने आया है। प्रोटीन के सोर्स के साथ अन्य सप्लीमेंट जो लेते हैं वह रत में थका बनाने का काम कर रहे हैं। जोधपुर के कार्डियोलॉजिस्ट के सामने पिछले छह माह में ऐसे केस लगातार आ रहे हैं।विदेश में औसत आयु 55 साल
विदेश में दिल की बीमारी होने की औसत आयु 55 साल है, जबकि हमारे यहां 45 साल में दिल बीमार हो जाता है। इसके पीछे कारण हमारा वातावरण और हमारा खानपान है। इसके अलावा तनाव और नशा करना भी बड़ा कारण है।हर चौथा आदमी डायबिटिक
भारत को डायबिटिक कैपिटल भी कहा जाता है। हर चौथा व्यक्ति डायबिटीज जैसी बीमारी से ग्रसित है। यही बीमारी आगे चलकर हृदय रोग का कारण बनती है। यह रोग आनुवांशिक है और बिगड़ी लाइफ स्टाइल से भी होता है।1000 में से 9 बच्चे जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित
हृदय रोग पिछले कुछ सालों में नवजात बच्चों में भी ट्रेस हुआ है। देश में औसत 1000 में से 9 बच्चे जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित होते हैं। इस बीमारी को ठीक करने के लिए राजस्थान में संसाधन भी काफी सीमित है। बच्चों में 10 प्रतिशत मृत्यु दर भी इस जन्मजात हृदय रोग के कारण होती है। शिशु हृदय रोग विशेषज्ञ बताते हैं कि इस बीमारी से ग्रसित कई बच्चे अपना पहला जन्मदिन भी नहीं मना पाते।(पत्रिका एक्सपर्ट: डॉ. रोहित माथुर, डॉ. पवन सारडा, डॉ. सुभाष बलारा, डॉ. हिमांशु त्यागी)