जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल में ब्रेन ट्यूमर के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अस्पताल में हर दूसरे दिन ब्रेन ट्यूमर का ऑपरेशन हो रहा है। महिलाएं, युवा, बच्चे और बुजुर्ग सभी में ब्रेन ट्यूमर के केस सामने आ रहे हैं। विश्व में अभी तक ब्रेन ट्यूमर का विस्तृत अध्ययन नहीं हुआ है। जिसकी वजह से ट्यूमर होने के पुख्ता कारण ज्ञात नहीं है। अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉ. सुनील गर्ग ने बताया कि मोबाइल से भी एक्स-रे और सिटी स्कैन की तरह रेडिएशन होता है। ऐसे में मोबाइल पर अधिक देर तक चिपके रहना, ट्यूमर की आशंका को प्रबल कर देता है।
सबसे अधिक ग्लियोमा ट्यूमर
एमडीएम अस्पताल में सबसे अधिक ग्लियोमा ट्यूमर के मरीज आते हैं जो न्यूरोन के चारों और स्थित सहायक कोशिकाओं में अतिवृद्धि के कारण होता है। शोध में यह बात भी सामने आई है कि मोबाइल रेडिएशन से शरीर में होने वाले कई प्रकार के कैंसर में मस्तिष्क में ग्लियोमा प्रमुख है। पिछले कुछ समय से युवाओं में ब्रेन ट्यूमर के मामले बढ़े हैं।
एमडीएम अस्पताल में सबसे अधिक ग्लियोमा ट्यूमर के मरीज आते हैं जो न्यूरोन के चारों और स्थित सहायक कोशिकाओं में अतिवृद्धि के कारण होता है। शोध में यह बात भी सामने आई है कि मोबाइल रेडिएशन से शरीर में होने वाले कई प्रकार के कैंसर में मस्तिष्क में ग्लियोमा प्रमुख है। पिछले कुछ समय से युवाओं में ब्रेन ट्यूमर के मामले बढ़े हैं।
विज्ञान की भाषा में यों समझें इस खतरे को
दरअसल मोबाइल की रेडिएशन में भी शरीर की कोशिकाओं को आयनित करने की क्षमता होती है लेकिन यह क्षमता एक्स व गामा किरणों से काफी कम होती है, लेकिन जैसे-जैसे मोबाइल की तकनीक बढ़ रही है, उसके बैण्ड बढऩे से आयनन क्षमता में भी इजाफा होता जा रहा है।
दरअसल मोबाइल की रेडिएशन में भी शरीर की कोशिकाओं को आयनित करने की क्षमता होती है लेकिन यह क्षमता एक्स व गामा किरणों से काफी कम होती है, लेकिन जैसे-जैसे मोबाइल की तकनीक बढ़ रही है, उसके बैण्ड बढऩे से आयनन क्षमता में भी इजाफा होता जा रहा है।
ट्यूमर के लक्षण
सिरदर्द, उल्टी, कमजोर नजर, मिर्गी, लकवा मारना, याददाश्त कमजोर, शरीर पर नियंत्रण छूटना, बोलने में अटकना। तीसरी-चौथी स्टेज में अस्पताल पहुंचते हैं मरीज
मोबाइल का अधिक समय तक उपयोग से ट्यूमर की आशंका रहती है। वैसे अस्पताल में मरीज ट्यूमर की तीसरी व चौथी स्टेज में आते हैं, इस कारण उनके शरीर के कई अंगों पर दुष्प्रभाव पड़ चुका होता है।
सिरदर्द, उल्टी, कमजोर नजर, मिर्गी, लकवा मारना, याददाश्त कमजोर, शरीर पर नियंत्रण छूटना, बोलने में अटकना। तीसरी-चौथी स्टेज में अस्पताल पहुंचते हैं मरीज
मोबाइल का अधिक समय तक उपयोग से ट्यूमर की आशंका रहती है। वैसे अस्पताल में मरीज ट्यूमर की तीसरी व चौथी स्टेज में आते हैं, इस कारण उनके शरीर के कई अंगों पर दुष्प्रभाव पड़ चुका होता है।
डॉ. सुनील गर्ग, न्यूरोसर्जन, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज जोधपुर ट्यूमर के कारण कई हैं
कैंसर फैलाने वाले कार्सिनोजन तत्वों से लेकर तनाव, रेडिएशन, मौसम, आयु, आनुवंशिकता सहित कई कारकों से ट्यूमर होता है। पिछले बीस सालों में ट्यूमर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
कैंसर फैलाने वाले कार्सिनोजन तत्वों से लेकर तनाव, रेडिएशन, मौसम, आयु, आनुवंशिकता सहित कई कारकों से ट्यूमर होता है। पिछले बीस सालों में ट्यूमर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
डॉ. शुभकरण खींचड़, न्यूरो फिजिशियन, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज जोधपुर