इधर सुरपुरा में 26.6 एमसीएफटी पानी है। तीनों जलाशयों को मिलाकर 225.6 एमसीएफटी पानी है। इस हिसाब से तीनों जलाशय का पानी मिला ले तो छह दिनों का पानी है। इस बीच जलदाय विभाग इस समस्या से निपटने के लिए मांग व आपूर्ति में बढ़ रहे अंतर को पाटने के लिए कुछ-कुछ दिनों में शटडाउन ले रहा है।
रोजाना आ रहा 265 क्यूसेक पानी
लिफ्ट नहर से मिलने वाले पानी की पूरी खपत हो जाती है और बचत के नाम पर कुछ नहीं है। कई बार तो बचत का पानी भी वितरण करना पड़ रहा है। राजीव गांधी लिफ्ट नहर से जोधपुर को रोजाना 265 क्यूसेक हिमालय का पानी मिलता है। इसमें से आधा पानी शहर और आधा ग्रामीण क्षेत्र में वितरित किया जाता है।
1456 गांव जुड़ने से बढ़ी दिक्कत
लिफ्ट नहर से 1456 गांव जुड़े हुए हैं। पहले ग्रामीण क्षेत्र की जलप्रदाय योजना थी नहीं। ऐसे में जोधपुर को पर्याप्त पानी मिल जाता था और यहां के प्रमुख जलाशय कायलाना व तखतसागर हमेशा भरे रहते थे, लेकिन अब ग्रामीण क्षेत्र की अधिकांश जलप्रदाय योजनाएं पूरी हो गईं। ऐसे में वहां से मांग बढ़ गई और शहर का पानी कम होता गया।
10 दिन में 4.5 फीट पानी घटा
दोनों जलाशयों में 10 दिन में 4.5 फीट पानी टूट गया है। विभाग रोजाना दो एमसीएफटी पानी जलाशयों के स्टोरेज से लेकर शहर में सप्लाई कर रहा है। इसके चलते लगातार जलस्तर कम होता जा रहा है। दोनों जलाशयों की क्षमता 360 एमसीएफटी है। इसमें से 260 एमसीएफटी पीने योग्य पानी रहता है। आगे से कुछ पानी कम आ रहा है। हम शटडाउन लेकर ही इस समस्या का समाधान हो सकता है। जल्द ही स्टोरेज पूरा हो जाएगा तो पानी की सप्लाई भी पूरी कर दी जाएगी।
- नक्षत्र सिंह, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, पीएचईडी