वहीं अरावली की जलराशि से मारवाड़ रायपुर बांध पर भी चादर चलने लगी है। इस बांध की चादर का पानी यहां कस्बे के निकट बह रही चौपड़ा फीडर में सोमवार तीसरे दिन तक बहता रहा। जसवंत सागर बांध में सोमवार सवेरे 2.70 फुट पानी मापा गया।
इसलिए देरी से पहुंचा पानी बांध को जलराशि से भरने के लिए जिस रास्ते से पानी आता है, उस रास्ते में बजरी माफिया ने सैकड़ों बीघा क्षेत्र से बजरी का खनन कर गहरे गड्ढे कर दिए हैं। यह गड्ढे भी किसी छोटे एनिकटों से कम नहीं हैं। नागपहाड़ से लेकर यहां जसवंत सागर बांध तक नौ नदियों एवं 99 बाळों के पानी से बांध भरता है और इन नदी एवं बाळों की प्रवृति को ही इन बजरी माफिया ने नष्ट कर डाला है। यही कारण है कि बांध तक पानी के पहुंचने में विलम्ब हो रहा है।
रायपुर बांध की चादर का पानी भी करता है निहाल रायपुर का बांध भले ही पाली जिले में हो लेकिन 13.30 फुट की भराव क्षमता वाले इस बांध पर चली डेढ़ फुट की चादर का पानी दीपावास, रायपुर, बीचड़ी, झूठा, कुशालपुरा, निम्बेडा, चावण्डिया, सिंगला, पाटवा, राजादंड, जाजनवास ,बींजवाडिया, हर्ष होते हुए यहां चौपड़ा फीडर के जरिए बहते हुए क्षेत्र की मालकोसनी, पड़ासला, खुटलिया होते हुए सरदारसमंद बांध में मिलता है।