जोधपुर

देश में पहली बार कोई प्रदेश खो देगा अपना राज्यपक्षी, खत्म हो जाएगा राजस्थान के सरताज गोडावण का अस्तित्व

अब सिर्फ रामदेवरा से जैसलमेर क्षेत्र में ही बचे है नाममात्र गोडावण
 

जोधपुरNov 03, 2017 / 02:40 pm

Nandkishor Sharma

state bird godavan at the edge of extinction

राजस्थान के राज्यपक्षी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड ‘गोडावण’ का अस्तित्व अगले पांच साल में पूरे विश्व से मिट जाएगा। यह पहला मामला होगा, जिसमें एक प्रदेश अपना राज्यपक्षी पक्षी हमेशा के लिए खो देगा। यह दावा किया है कि वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन एवं गोडावण पर लंबे अर्से शोध व सर्वे करने वाले विशेषज्ञ डॉ. एमके रंजीतसिंह ने।
राजस्थान पत्रिका से विशेष बातचीत में डॉ. सिंह ने बताया कि राजस्थान के जैसलमेर और कोटा में सोरसन में ब्रीडिंग सेन्टर खोलने को लेकर चल रही राजनीतिक उठापटक के बीच गोडावण अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। पूरी दुनिया में गोडावण अब रामदेवरा से जैसलमेर के कुछ क्षेत्रों में बचा है। गोडावण की संख्या 60 से भी कम है। इस शर्मीले पक्षी की ब्रीडिंग नहीं होने के कारण अगले पांच साल में गोडावण लुप्त हो जाएगा। गोडावण के जीवन मरण का सवाल देखते हुए दलगत राजनीति से परे होकर इसको बचाना होगा। यह पालतू पक्षी नहीं है जिसे कहीं से उठाकर लाया जा सकता है।
 

महाराष्ट्र व गुजरात से भी गायब


बाड़मेर जैसलमेर के 3162 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले राष्ट्रीय मरु उद्यान में डेढ़ दशक से गोडावण की संख्या कम हो गई है। महाराष्ट्र में भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के सर्वे के दौरान गोडावण नजर नहीं आया। गुजरात में कोई नर दिख नहीं रहा। वहां एक छोटा नर बच्चा जरूर है। राजस्थान में सम, सुदाश्री, फूलिया, म्याजलार, खुड़ी, सत्तो आदि क्षेत्र में गोडावण की संख्या नहीं बढ़ रही है। जैसलमेर स्थित सोकलिया में भी खत्म हो चुका है। गोडावण संरक्षण के लिए राज्य सरकार की ओर से 26 करोड़ राशि की योजनाओं के क्रियान्वयन के बाद भी परिणाम सुखद नहीं है। जैसलमेर और कोटा में प्रजनन केन्द्र खोलने के निर्णय में देरी के कारण इसका अस्तित्व ही खत्म हो जाए।
 

कतर में भेजकर बचाया जा सकता है अस्तित्व


डॉ. सिंह ने बताया कि अरब देश के मिडिल ईस्ट कतर में बस्टर्ड प्रजाति के ही अरेबियन बस्टर्ड याने हौबारा (तिलोर ) को बचाने के लिए कई प्रजनन केन्द्र विकसित किए गए हैं। गोडावण को वन्यजीव एक्सचेंज कार्यक्रम के तहत कतर के प्रजनन केन्द्र में भेजकर बचाया जा सकता है। संख्या पुन: बढऩे पर नए सिरे से इसे राजस्थान लाया जा सकता है।
 

यह भी है कारण


जमीन पर अंडे देने के करण सरिसृप जीवों का भोजन बनने और पालतू मवेशियों के पैरों तले कुचल जाते हैं। थार रेगिस्तान में चार दशक पूर्व तक 1260 गोडावण थे जो अब 44 रहे गए हैं। विश्व में कुल 23 बस्टर्ड प्रजातियों में से चार भारत में पाई जाती हैं। आईयूसीएन की रेड डाटा सूची के अनुसार इन चार में से दो बंगाल फ्लोरीकन, ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को घोर संकटग्रस्त (क्रिटिकली एंडेजर्ड ) और लैसर फ्लोरीकन संकटग्रस्त और हौबारा बस्टर्ड को असुरक्षित श्रेणी में रखा गया है।
 

राजस्थान में गोडावण की स्थिति

 

2010 —-45
2011—-52

2012—-60
2013—-44

2014—-40
2015—-44

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