दीपावली के दिन बंदियों को हलवे का भोजन करवाया गया। जेल में ही बंदियों के लिए विशेष मिष्ठान का प्रबंध किया गया। करीब १५०० बंदियों को हलवा खिलाया गया। रामा श्यामा के दिन कुछ बंदी आपस में मिल कर शुभकामनाएं दे रहे थे, इस दौरान पुरानी रंजिश को लेकर बंदियों के दो गुटों में कहासुनी हो गई। मौके पर मौजूद जेल अधीक्षक विक्रमसिंह ने समझाइश कर मामला शांत करवाया। जेल अधीक्षक ने बताया कि बैरक में आने की बात को लेकर बंदियों में कहासुनी हो गई थी, लेकिन समझाइश के बाद मामला सुलझ गया। बंदियों के परिजन भी उन्हें मिष्ठान देने के लिए जेल पहुंचे।
आसाराम के समर्थकों ने की पूजा
सेंट्रल जेल में बंद आसाराम के लिए उनके समर्थक भी उमड़े। बड़ी संख्या में समर्थकों ने जेल के बाहर आसाराम की तस्वीर लगा कर पूजा-अर्चना की। इस दौरान सुरक्षा जाप्ता तैनात रहा।
सेंट्रल जेल में बंद आसाराम के लिए उनके समर्थक भी उमड़े। बड़ी संख्या में समर्थकों ने जेल के बाहर आसाराम की तस्वीर लगा कर पूजा-अर्चना की। इस दौरान सुरक्षा जाप्ता तैनात रहा।
सेंट्रल जेल के बाहर हर वर्ष यौन उत्पीडऩ के आरोपी आसाराम के समर्थक उमड़ते हैं। करीब चार साल से जोधपुर जेल की सलाखों के पीछे कैद हवसी बाबा की मात्र झलक पाने के लिए ही लोग देश के कोने कोने से यहां पहुंचते हैं। हाथों में दीपक व नम आंखें लिए जेल के बाहर ही ये समर्थक अपनी श्रद्धा का भोग लगाते नजर आते हैं। इनके लिए वो आज भी आदर्श है, जिसने चींटी तक नहीं मारी। इस अंध भक्ति के चलते सैकड़ों समर्थक जोधपुर सेंट्रल जेल के बाहर पहुंच कर दीपक उम्मीद का दिया इस आस में जलाते हैं कि आसाराम कोर्ट से निर्दोष साबित होकर बाहर आ जाए। ये लोग उनकी तस्वीर लगा कर पूजा करते हैं, प्रसाद बांटते हैं और जेल परिसर के बाहरी भाग को दीपक की रोशनी से आलोकित करते हैं।
आसाराम के जन्मदिन पर भी उनके समर्थक हैप्पी बर्थडे लिखे गुब्बारे लेकर हाईकोर्ट के बाहर पहुंचे थे।आसाराम समर्थकों के कारण पुलिस की लेफ्ट राइट काफी बढ़ जाती है। कई बार अतिरिक्त पुलिस जाप्ता भी तैनात करना पड़ता है।