सीबीआई द्वारा नियुक्त विशिष्ट अधिवक्ता द्वारा कोर्ट में एफबीआई की डीएनए एक्सपर्ट अंबर बी कार की गवाही के लिए दरखास्त दी थी, जिसमें अमरीका से गवाह को बुलाने के लिए तीन माह का समय लगने का कहते हुए कार की गवाही के लिए समय दिए जाने की मांग की थी। इस पर बचाव पक्ष ने आपत्ति उठाते हुए जवाब दिया कि अभियोजन लम्बे समय से गवाह से सम्मन तामील नहीं करवा सकी है। 25 मई 2017 को समन जारी कराने के बाद सीबीआई ने विदेश विभाग से इसकी अनुमति बाबत लिखित में किसी प्रकार का दस्तावेज भी प्रस्तुत नहीं किया है।
अमरीकी गवाह के भारत आने की प्रक्रिया लम्बी है। इससे मामले में देरी हो सकती है, जबकि एससीएसटी कानून के तहत दर्ज मामले की सुनवाई तीन महीने में होनी चाहिए। इस पर न्यायालय ने एफबीआई गवाह को बुलाने की प्रक्रिया पर फैसला सुरक्षित रखा तथा अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को रखी। सुनवाई के दौरान पुलिस ने दोपहर ढाई बजे मामले के दस आरोपियों को कोर्ट में पेश किया।
आरोपियों की ओर से दायर विविध अपराधिक याचिका खारिज राजस्थान हाईकोर्ट ने एएनएम भंवरीदेवी के अपहरण व हत्या के मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से यूएसए की डीएनए एक्सपर्ट तकनीशियन अम्बर बी कार को गवाही के लिए पेश करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। याचिकाकर्ताओं परसराम व अन्य की ओर से सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर विविध आपराधिक याचिका को जस्टिस पंकज भंडारी ने खारिज करते हुए सीबीआई की ओर से धारा 311 के तहत पेश आवेदन को सही ठहराया है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता हेमंत नाहटा, हनुमान खोखर व संजय विश्नोई ने कहा कि अंबर बी कार का नाम अभियोजन पक्ष की ओर से पेश की गई मूल सूची में नहीं था। अभियोजन पक्ष मामले को लंबित करने के उद्देश्य से नए नए गवाहों के नाम शामिल कर रहा है, जिससे सुनवाई में देरी हो रही है। इस पर अभियोजन पक्ष की ओर से सीबीआई के विशिष्ट लोक अभियोजक पन्नेसिंह रातडी ने कहा कि जलोडा में मिली भंवरी की हड्डियों के डीएनए परीक्षण के लिए एफबीआई अमरीका भेजा गया था, जो कि चार्जशीट पेश करने के बाद प्राप्त हुई। चंूकि विधि अनुसार परीक्षण रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने वाले अधिकारी को कोर्ट में उपस्थित होकर गवाही देना आवश्यक होता है और यह रिपोर्ट इस मामले के निर्णय के लिए अहम सबूत हैं। इसलिए गवाहों की मूल सूची के बाद उसकी गवाही के लिए सीआरपीसी की धारा 311 के तहत आवेदन पेश किया गया। जिसे निचली अदालत ने भी स्वीकृत किया। उन्होंने कहा कि सीबीआई की ओर से पेश गवाहों की मूल सूची में से करीब एक सौ गवाहों के नाम वापस ले लिए गए हैं। इसलिए सीबीआई पर मामला लंबित करने का दोष नहीं लगाया जा सकता।