चित्तौड़गढ़ जिले की सदर थाना पुलिस और साइबर सैल ने श्रम विभाग का अधिकारी बनकर श्रम कार्ड के तहत दो लाख रुपए मुआवजा दिलाने का झांसा देकर एक व्यक्ति से 81 हजार रुपए ऐंठने के मामले में जोधपुर से दो युवकों को गिरफ्तार किया। आरोपी राज्य के कई जिलो में साइबर ठगी की तीस वारदातों में लाखों रुपए वसूल चुके हैं।
पुलिस अधीक्षक (चित्तौड़गढ़) सुधीर जोशी ने बताया कि प्रकरण में जोधपुर के मथानिया थानान्तर्गत तिंवरी निवासी दिलीप (32) पुत्र धीरेन्द्र माली और जेलू निवासी मनोहर (27) पुत्र नगसिंह ओड को गिरफ्तार किया गया है। दिलीप के खिलाफ जोधपुर, बाड़मेर व सांचौर के अलग-अलग थानों में साइबर ठगी की आठ एफआइआर पहले से दर्ज हैं। इसके अलावा आरोपियों ने श्रम विभाग, सुकन्या योजना, पीएम किसान योजना, जनधन योजना के नाम पर चित्तौड़गढ़ में छह, नागौर में 14, जालोर में तीन, सांचौर, बीकानेर व सीकर में एक-एक, उदयपुर और कोटा में दो-दो लोगों से साइबर ठगी के लाखों रुपए ऐंठ चुके हैं। इनके अलावा भी जांच की जा रही है। इससे यह आंकड़ा बढ़ने की संभावना है।
पत्नी की मृत्यु पर मुआवजे के लिए किया था आवेदन
चित्तौड़गढ़ में लक्ष्मीपुराबराड़ा निवासी मोहनलाल लोधा की पत्नी पिंकी का निधन हो गया था। राज्य सरकार की श्रमकाउर्हो योजना के तहत दो लाख रुपए मुआवजे के लिए उन्होंने ई-मित्र के मार्फत ऑनलाइन आवेदन किया था। यह मुआवजा अभी तक नहीं मिला है। गत 17 दिसम्बर को श्रम विभाग का अधिकारी बनकर सुरेश ने कॉल कर कहा था कि पत्नी की मुआवजा राशि स्वीकृत हो गई है। जिसे खाते में जमा करवाने के लिए सरकारी बैंक खाते में 15 हजार रुपए जमा करवाओ। उसने व्हॉट्सऐप पर स्कैनर कोड भी भेजे। झांसे में आए मोहनलाल ने 15 हजार रुपए जमा करवा दिए। फिर ठग ने खाते के एमआइसीआरनम्बर न मिलने के नाम पर 22 हजार रुपए और जमा करवा लिए थे। फिर पेन कार्ड खाते से लिंक न होने के नाम पर 22 हजार रुपए और मांगे थे। जो पीडि़त ने अपने भाई के खाते से जमा करवाए थे। यह राशि जमा न होने के नाम पर एक बार और 22 हजार रुपए जमा करवा लिए गए थे। ठगों ने राशि रिफण्ड होने का भरोसा दिलाया था, लेकिन राशि खाते में जमा नहीं हुई।
खाता व मोबाइल नम्बर फर्जी, तकनीकी तरीके से पकड़ा
ठगी का पता लगने पर पीडि़त ने 17 दिसम्बर को साइबर ठगी का मामला दर्ज कराया। पुलिस ने जांच की तो बैंक खाता व मोबाइल नम्बर फर्जी निकले। जो दूसरों के नाम से लिए गए थे। पुलिस ने तकनीकी विश्लेषण से जांच की। तब इनकी पहचान दिलीप व मनोहर के रूप में हुई। चित्तौड़गढ़ पुलिस जोधपुर पहुंची और महामंदिर थाने के कांस्टेबल प्रकाश व रामनिवास के सहयोग से अलग-अलग जगह दबिश देकर दिलीप व मनोहर को पकड़ लिया।