
Rajasthan state Pollution control board
एक ओर जहां प्रधानमंत्री की महत्वकांक्षी योजना 'मेक इन इंडिया' पर जोर दिया जा रहा है, वहीं 'मेक इन सिटी' बनाने में योगदान देने वाले शहर के उद्यमी एनओसी के फेर में फंसे हुए हैं। राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शहर के कई उद्यमियों द्वारा अपने उद्योगों के लिए प्रदूषण मण्डल की एनओसी के लिए आवेदन किया हुआ है। लंबे समय के बाद भी विभाग की ओर से उद्यमियों को एनओसी नहीं दी जा रही है।
औपचारिकताओं का अभाव
जोधपुर हैण्डीक्राफ्ट्स एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन की ओर से अपने सदस्यों की फाइलें एनओसी के लिए लगाई। ज्यादा वक्त बीत जाने के बाद भी विभाग की ओर से एनओसी जारी नहीं की गई है। इसके अलावा कई उद्यमियों द्वारा व्यक्तिगत रूप से भी एनओसी के लिए आवेदन किया गया है, जिन्हें भी एनओसी नहीं मिली है। उद्यमियों द्वारा बार-बार चक्कर काटने पर विभागीय कर्मचारी फाइलें गुम होने व अन्य दस्तावेजों की औपचारिकताओं में अपूर्णता बताकर उन्हें एनओसी जारी नही की जाती है।
एनओसी लेना अनिवार्य
कोई भी उद्योग स्थापित करने से पहले प्रदूषण नियंत्रण विभाग से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) लेना जरूरी है। विभाग द्वारा एनओसी मिलने के बाद ही उद्योग के लिए बिजली का कनेक्शन देने का प्रावधान है। पहले से स्थापित उद्योगों के लिए भी विभाग ने नोटिस जारी कर एनओसी लेने की बाध्यता कर दी। विभाग की ओर से वर्ष २०१३ में शो-कॉज नोटिस जारी कर वाटर एक्ट १९७४ तथा एयर पॉल्यूशन एक्ट १९८१ के तहत एनओसी लेना अनिवार्य कर दिया गया था।
अधिकारी बता रहे यह फेर
कई फाइलें एेसी होती हैं, जिनमें कमियां होती हैं। अपूर्ण आवेदन होते हैं। इसके अलावा, एनजीटी ने जिन इकाइयों पर पैनल्टी लगाई है। जिन उद्यमियों ने क्षतिपूति राशि का भुगतान नहीं किया है, जिनके पानी-बिजली के कनेक्शन कटे हुए हैं, उनको एनओसी जारी नहीं करने का प्रावधान है। सरकारी औपचारिकताओं की पूर्ति के बाद ही एनओसी जारी की जाएगी।
जगदीश सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी अतिरिक्त चार्ज, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
Published on:
27 Aug 2017 05:01 pm
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