– डॉ. दिनेश गहलोत, सहायक आचार्य, राजनीति विज्ञान, जयनारायण व्यास विवि जोधपुर. नए जिलों की स्थापना की घोषणा राजस्थान जैसे राज्य के लिए अपेक्षित ही है। राजस्थान भौगोलिक दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य होने के कारण इसका लंबे समय से इंतजार था। नए जिलों की स्थापना से प्रशासनिक दक्षता में वृद्धि होगी। इससे क़ानून व्यवस्था में सुधार होगा। यह एक तरह से प्रशासन को जनता के द्वार तक ले जाने वाला कदम ही माना जाना चाहिए। नए अस्पताल, नए परिवहन कार्यालय, नए उपखंड आदि की स्थापना से सरकारी नौकरी के अवसर बढ़ेंगे। जिला मुख्यालयों को जोड़ने के लिए नए राज्य मार्ग बढ़ेंगे। इससे प्रशासन की गति तथा रिस्पोंस में तीव्रता आएगी ।
लोकसभा या विधानसभा सीटों पर प्रभाव नहीं बड़े ज़िले अथवा ज़िला मुख्यालय से दूरी कई बार अपराधों की रोकथाम में सरकार की असफलता का बड़ा कारण रही है। अब इससे निजात मिलने की संभावना है। ये जिलों की स्थापना से लोकसभा या विधानसभा सीटों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। नए जिले बनाना राज्य सरकार का क्षेत्राधिकार है, जबकि लोक सभा व विधान सभा सीटों का निर्धारण केंद्र सरकार के हाथ में है। नए जिले तथा नए संभाग की स्थापना से सुविधाओं के विस्तार की संभावना है। राज्य सेवा के अधिकारियों को जिलाधीश तथा पुलिस अधीक्षक बनने के अधिक अवसर मिल सकेंगे।
आधारभूत ढांचे का विकास अब सरकार के पास सुनियोजित आधारभूत ढांचे के विकास का भी अवसर है। नए ज़िलों में एक साथ ही एक स्थान पर ही सभी कार्यालय स्थापित कर सरकार एक नई प्रकार की गवर्नेंस दे सकती है। इससे जनता को दूर दूर तक शहर के एक कोने से दूसरे कोने तक चक्कर काटने नहीं पड़ेंगे, लेकिन इसके सरकार को संकल्पित होकर कार्य करना होगा। एक ही छत के नीचे सभी सरकारी कार्यालय अथवा एक स्थान पर ही सभी कार्यालय की स्थापना से शहरों को व्यवस्थित किया जा सकेगा।