जोधपुर

पुलिस की नौकरी छोड़ शिक्षक बना, विद्यार्थियों को दंगल में बना दिया पारंगत, छात्र को बनाया जिले का नम्बर-वन रेसलर

अगर किसी कार्य को शिद्दत व पूरी लगन से किया जाए तो कठिन से कठिन लक्ष्य अथवा मंजिल को पाया जा सकता है। इसे चरितार्थ कर दिखाया महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय सालवा कला में कार्यरत शिक्षक शंकर कांगवा ने।

जोधपुरOct 06, 2024 / 04:53 pm

Kamlesh Sharma

जोधपुर। अगर किसी कार्य को शिद्दत व पूरी लगन से किया जाए तो कठिन से कठिन लक्ष्य अथवा मंजिल को पाया जा सकता है। इसे चरितार्थ कर दिखाया महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय सालवा कला में कार्यरत शिक्षक शंकर कांगवा ने। वे शारीरिक शिक्षक नहीं हैं, फिर भी उन्होंने यू-ट्यूब पर वीडियो से कुश्ती दंगल के दांव पेंच देखकर विद्यालय के छात्रों को दंगल में पारंगत बना दिया।
इसी का परिणाम रहा कि हाल ही सम्पन्न 68वीं जिला स्तरीय प्रतियोगिता के 52 किलोग्राम भार वर्ग की फ्री स्टाइल कुश्ती में रितिक पुत्र मदनराम थोरी ने न सिर्फ गोल्ड मेडल जीता, बल्कि जिले में नम्बर वन रेसलर भी बना। इस प्रदर्शन के बलबूते पर रितिक अब राज्य स्तरीय कुश्ती प्रतियोगिता में 52 किलो फ्री स्टाइल कुश्ती में जोधपुर जिले का प्रतिनिधित्व करेगा। वहीं, स्कूल के प्रवीण पुत्र हड़मानराम मेघवाल कुश्ती में तीसरे नम्बर पर रहा। पिछले साल एथलेटिक्स में दो छात्राओं ने बेहतरीन प्रदर्शन किया था।
अंतिम क्षण तक हार न मानने की प्रेरणा दी। विद्यार्थियों का कहना है कि शिक्षक कांगवा के कांस्टेबल रहने का भी फायदा मिला। खेलों के प्रति उनका जुनून ऐसा है कि शारीरिक शिक्षक न होते हुए भी समय मिलते ही खेल मैदान में नजर आते हैं। खिलाड़ियों को दांव पेंच सिखाने के साथ ही अंतिम क्षण तक संघर्ष कर हार न मानने को प्रेरित करते रहते हैं।

सात साल कांस्टेबल की नौकरी, अब विद्यार्थियों को तराश रहे

कांगवा का राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल पद पर चयन हुआ था। सात साल तक पुलिस में सेवा देने के साथ-साथ अन्य प्रतियोगी परीक्षाएं भी देते रहे और आखिरकार सरकारी शिक्षक बने। जो वर्तमान में सालवा कला गांव स्थित महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय में पदस्थापित हैं। शिक्षण कार्य के साथ उन्होंने विद्यालय के विद्यार्थियों को कुश्ती के गुर सिखाने की ठानी। जिला स्तरीय प्रतियोगिता की तैयारी के लिए उन्होंने यू-ट्यूब पर कुश्ती के वीडियो देखे और उनसे ही छात्रों को कुश्ती के दांव पेंच सिखाए। अब कई छात्र कुश्ती ही नहीं अन्य खेलों में भी निखरकर सामने आ रहे हैं।
विद्यार्थियों में असीम प्रतिभाएं होती हैं। जरूरत है तो बस उन्हें निखारने की। विद्यार्थी के सपने को अगर शिक्षक स्वयं का सपना बनाकर मेहनत करे तो बड़ी से बड़ी मंजिल को हासिल किया जा सकता है।
शंकर कांगवा, शिक्षक, महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय।

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