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उन्होंने डेढ़ दशक पहले लगभग 10 लाख खर्च कर अपने पीहर बुड़किया गांव के सरकारी बालिका स्कूल में दो कक्षा कक्ष बनाए। गांव की अन्य स्कूलों में भी कुल चार हॉल, बुडकिया राम मंदिर व गौशाला में एक-एक हॉल का निर्माण करवाया। ससुराल खेड़ी चारणान गांव के स्कूल में भी एक कक्षा कक्ष और तीस टेबल बेटियों को समर्पित की। इसके अलावा हर साल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर स्कूलों में प्रतिभावान बेटियों को पुरस्कृत करती हैं। यह भी पढ़ें
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दुश्मनों का बंकर ध्वस्त कर 8 को मार गिराया जुलाई 1999 में हुए करगिल युद्ध में कालूराम करगिल पहाड़ी पर करीब 17850 फीट की ऊंचाई पर पीपुल-2-तारा सेक्टर में जाट रेजिमेंट के साथ तैनात थे। जंग के दौरान 4 जुलाई को पाकिस्तानी सेना का बम का गोला उनके पैर पर आकर लगा और उनका पैर शरीर से अलग हो गया, बावजूद वे दुश्मनों से लड़ते रहे और दुश्मनों का बंकर ध्वस्त कर 8 घुसपैठियों को मार गिराया। इसी के साथ वे भी वतन के लिए शहीद हो गए।
15 दिन की यादों के सहारे निकाल दिए 24 साल सात फेरों की रस्म के एक पखवाड़े बाद ही बालेसर दुर्गावता गांव के भंवरसिंह इंदा युद्ध के लिए करगिल चले गए। वहां 28 जून 1999 को शहीद हो गए। उनकी 15 दिन की यादों के सहारे उनकी वीरांगना इंद्रकंवर ने 24 साल निकाल दिए हैं। शहीद के भाई करण सिंह इंदा ने बताया कि वर्तमान में वीरांगना जहां रहती हैं, वहां बिजली तक नहीं है। शहीद स्मारक के लिए भी खूब भागदौड़ की लेकिन कुछ नहीं हुआ। थक हारकर शहीद के परिजनों ने ही घर के पास निजी खर्चे से स्मारक बनवाया।