ऐसा पड़ा नाम
दरअसल
जोधपुर शहर में होने वाली हथाइयों के दौरान इस मंदिर को ‘इश्किया गजानन’ की उपमा दी गई। यहां प्रेम में सफलता पाने के लिए युवा जोड़े अक्सर दर्शन करते हुए नजर आ जाते हैं। कहा जाता है कि महाराजा मानसिंह के समय एक तालाब की खुदाई के दौरान गणपति की मूर्ति मिली थी। इसके बाद इसे तांगे में रखकर जूनी मंडी में बने एक चबूतरे पर प्रतिष्ठित किया गया। यह मंदिर करीब 100 साल पुराना माना जाता है। पहले इस मंदिर को गुरु गणपति के नाम से जाना जाता था। धीरे-धीरे यहां भक्तों के रूप में आने वालों में युवा जोड़ों की संख्या बढ़ती गई और इसका नाम इश्किया गजानन मंदिर पड़ गया।
बुधवार के दिन विशेष भीड़
इस मंदिर में भक्त सुबह 5 से दोपहर 12 बजे और शाम 5.30 से रात 9 बजे तक दर्शन कर सकते हैं। हालांकि बुधवार के दिन इस मंदिर में भक्तों की विशेष भीड़ रहती है। ऐसे में बप्पा के दर्शन के लिए ये मंदिर रात 11 बजे तक खुला रहता है। क्षेत्र के बुजुर्ग बताते हैं कि उस दौर में फोन और सोशल मीडिया जैसी सुविधाएं नहीं थीं। ऐसे में भीतरी शहर के ही सगाई कर चुके कुछ युवा गणपति दर्शन के दौरान अपनी मंगेतर से कुछ क्षण बतियाने के लिए बुधवार को मंदिर पहुंचते थे। वहीं दूसरी तरफ जोधपुर में एक और प्रसिद्ध मंदिर है, जो कि रातानाडा में बना है। इस मंदिर में आप जहां से भी गणपति बप्पा के दर्शन करते हैं, आपको उनका अद्वितीय रूप नजर आता है। मंदिर में गणपति बप्पा के साथ रिद्धि-सिद्धि की सुंदर प्रतिमाएं स्थापित है। हर बुधवार इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ दर्शन के लिए उमड़ती है।