जोधपुर

ऋतुराज : बासनी में आई बसंत बहार

ग्वार गम में तेजी- अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग बढऩे से आवक बढ़ेगी

जोधपुरJan 22, 2018 / 12:18 am

Devendra Bhati

– चार दशक में पहुंचे करोड़ों के टर्नओवर में इस साल बम्पर बढ़ोतरी की उम्मीद
– बासनी कृषि उपज मंडी बनी विश्व प्रसिद्ध ग्वार गम मंडी
बासनी(जोधपुर).
वर्ष 2018 का ‘ऋतुराजÓ यानि बसंत का मौसम बासनी कृषि उपज मंडी के लिए बसंत बहार लेकर आया है। इन दिनों अचानक ग्वार में आई में तेजी से विश्व प्रसिद्ध ग्वार गम की बासनी मंडी की उम्मीदें परवान चढ़ चुकी है। बासनी मंडी में 80-90 ग्वार और ग्वार गम के व्यापारी इस व्यावसायिक कृषि जिंस का कारोबार करते हैं। इन व्यापारियों का कारोबार देश-विदेश तक जुड़ा है।

विश्व प्रसिद्ध ग्वार गम अर्श से फर्श पर पहुंचे ग्वार गम में हालिया दिनों में आई तेजी से ग्वारगम से जुड़े व्यापारियों के चेहरे खिले दिखाई दे रहे हैं। जमीन से आसमान तक की ऊंचाइयां छू लेने के मामले में बासनी कृषि उपज मंडी ही एक ऐसा उदाहरण है जहां पिछले 40 साल में व्यापार करोड़ों के टर्नओवर तक पहुंच गया, जो यहां की समृद्धि की कहानी को अपने आप में ही बयां करता है। ग्वार गम के कारण इस मंडी को पूरे देश में एक बड़ा स्थान मिला। बासनी स्थित कृषि उपज मंडी भगत की कोठी के नाम से विख्यात यह विश्व की सबसे प्रसिद्ध ग्वार गम की मंडी है। यहां सबसे ज्यादा ग्वार एवं गम का व्यापार होता है। राजस्थान की सभी ग्वार गम की मिले इस मंडी से जुड़ी हुई। वर्तमान में यहां 75 से 80 व्यापारी टॉपक्लास के ग्वार गम का व्यापार कर रहे है। मंडी में प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए टर्न ऑवर का व्यापार हो रहा है।

बुवाई कम होने से ग्वार में आई तेजी–
यहां बासनी मंडी में हर साल जोधपुर जिले से 2 लाख बोरी ग्वार आता है। वहीं बीकानेर से 15 लाख बोरी, बाड़मेर से 15 लाख और जैसलमेर से 14 लाख बोरी ग्वार आता है। इस मंदी के चलते किसानों ने ग्वार की बुवाई काफी कम स्तर पर की। वहीं बीकानेर में जहां ग्वार की बंपर बुवाई होती है लेकिन वहां लूणकरण सहित कई क्षेत्रों में बरसात कम होने से उपज काफ कम हुई। हर साल जहां देश में 1 करोड़ बोरी ग्वार होता है। वहीं इस बार 40 लाख बोरी ग्वार की ही उपज हुई। वहीं विदेशों में इसकी खपत बढने और फसल कम होने से इसमें कुछ हद तक तेजी आई है। बासनी कृषि मंडी में डांगियावास, दईकड़ा, लूणी, धुंधाड़ा, सालवा कला, बिसलपुर, बिलाड़ा, पीपाड़ आदि क्षेत्रों से किसान ग्वार लेकर आते हैं। अब तेजी से उनकी संख्या यहां बढ़ सकती है।

स्थानीय मजदूरों के लिए बढ़ेगा रोजगार
मंडी की बड़ी विशेषता यह है कि यहां रोजगार की तलाश में आने वाला कोई भी व्यक्ति खाली नहीं लौटता है। यहां जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, जालोर और पाली सहित कई जिलों से कामगार यहां मजदूरी करने आ रहे हैं। यहां छोटी मोटी 150 गाडिय़ां रोजाना आती है और 250 से 300 मजदूर हमेशा गाडिय़ों को खाली करना लदान करने का कार्य कर रहे है। अब ग्वार गम की आवक होने से यहां मजदूरों की संख्या भी बढ़ेगी। साथ ही काम बढऩे से उनकी मजदूरी भी पहले से ज्यादा बढ़ेगी। यहां मजदूरों के रहने के लिए विश्राम घर भी बने हुए है।

बैंकों में बढऩे लगी किसानों व व्यापारियों की हलचल
मंडी में दीपावली से लेकर होली तक विशेष रौनक रहती है, क्योंकि इस समय खरीफ की फसल मंडी में आने लग जाती है। अभी यह दौर जारी है। वर्तमान में मंडी के आधा किलोमीटर की परिधि में राष्ट्रीयकृत बैंकों की शाखाएं हैं। इसमें किसानों और व्यापारियों की हलचल बढ़ी हुई है।
फ्लैश बैक:
मंडी की स्थापना के साथ बने व्यापारियों के संघ-

पहले यहां के व्यापारी सिंवाची गेट और सुमेर मार्केट में व्यापार करते थे। जहां जगह की कमी के कारण ट्रकों के आवागमन नहीं हो पाता था। तब व्यापारियों सरकार से बासनी में मंडी की स्थापना की मांग की। सरकार की मंजूरी मिलते ही यहां मंडी की स्थापना हो गई। उसके साथ ही यहां के व्यापारियों का संघ बन गया जो जोधपुर खाद्य पदार्थ व्यापार संघ नाम से जाना जाने लगा जिसके सर्वप्रथम 1975 में अध्यक्ष मिश्रीमल बुरड़ बने। जोधपुर खाद्य पदार्थ व्यापार संघ अंतर्गत संचालित इस मंडी में 273 दुकानें है।
व्यापारिक गतिविधियों से छू लिया आसमान

बासनी द्वितीय चरण स्थित राजमाता विजयाराजे सिंधिया मंडी की स्थापना 10 फरवरी 1975 में हुई और इसका उद्घाटन 1 नवंबर 1975 को तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री जगजीवनराम एवं राजस्थान सरकार के कृषि मंत्री शिवचरण माथुर के हाथों से हुआ। मंडी 83.03 बीघा जमीन पर बनी हुई है। मंडी की स्थापना के साथ यहां कई व्यापारियों ने इसे ही अपना कर्मस्थली बना लिया। मंडी में मुख्यत: खाद्य पदार्थ मूंग, मोठ, गेंहू, बाजरी, जौ, अरंडी, तिल, मक्का, राईड़ा, तारामीरा के व्यापारियों के अलावा ग्वार-गम के व्यापारी यहां व्यापार कर रहे हैं।
वाणिज्य कर विभाग से मिला गोल्ड

मंडी के चारों तरफ कई प्राइवेट वेयर हाउस भी खुले हुए हैं। जहां व्यापारी अपने माल का भंडारण कर समय एवं भाव आने पर बाजार में अपने उत्पाद को बेचते हैं। इनकी महत्ता अब ज्यादा बढऩे वाली है। यहां आने वाले किसानों एवं छोटे व्यापारियों का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है। सरकार की ओर से व्यापारियों को उनकी दुकान का 99 साल की लीज पर मालिकाना हक देने के बाद यहां के व्यापारियों मेंं खुशी की लहर आ गई है। वर्ष 2005 वर्ष 2006 राजस्थान सरकार से वाणिज्य कर विभाग से गोल्ड कार्ड प्राप्त हो चुका है।
 


इन्होंने यह कहा—
मेरे हिसाब से गम तो उपलब्ध है लेकिन ग्वार की आवक कम होने से ग्वार में तेजी आने की उम्मीदें जगी है। लगभग 65 से 70 रुपए प्रति किलो तक भाव पहुंच सकते हैं। इस बार ग्वार की फसल 40-45 लाख बोरी से ज्यादा न होने से इसमें तेजी आई है।
-मोहनलाल मूंदड़ा, उपाध्यक्ष, जोधपुर खाद्य पदार्थ व्यापार संघ बासनी मंडी।
 

 

पैदावार कम होने के कारण और माल की आवक कम होने से तेजी जरूरी आएगी। साथ ही किसानों के नाम एनसीडीएक्स की सरकार की आरे से चलाई गई योजना का फायदा सरकार ही ले रही है। फसल ज्यादा होने पर सरकार कम भाव में खरीद कर किसानों के साथ धोखा कर रही है।
-रामधन चौधरी, किसान प्रतिनिधि।
 


इस वर्ष उत्पादन कम हुआ है। पिछले साल उत्पादन भी कम हुआ था। बाजार को देखते हुए खपत कम होने की वजह से भावों में तेजी आएगी। ग्वार गम के भाव धीरे धीरे 60 रुपए प्रति किलो से अधिक हो जाएंगे।
-प्रकाश मेहता, अध्यक्ष, जोधपुर खाद्य पदार्थ व्यापार संघ बासनी मंडी।

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