जब ब्लड प्रेशर या शुगर जैसी बीमारी स्वाभाविक रूप से बढ़ती है तो उसे दवाइयों से रोकने के लिए नियमित गोली शुरू की जाती है। डॉक्टर अपने हिसाब से प्रिस्क्राइब करता है, लेकिन जब कई दिन तक नियमित दवाई बंद रहती है तो बीपी-शुगर का लेवल दोगुना तक बढ़ जाता है। उसका कारण है कि इन बीमारियों को दवाइयों से बांध कर रखा जाता है। जब एक दम से यह आंकड़ा बढ़ता है तो उसे रिबाउंड फिनोमिना कहते हैं। कई बार इंसानी शरीर इसे झेल नहीं पाता और मृत्यु की स्थिति भी हो सकती है।
यदि दवाइयां देकर किसी का ब्लड प्रेशर 150 से 120 तक लाया गया है और उसने दवाइयां अनियमित कर दी तो यह आंकड़ा वापस 150 तक नहीं आएगा, बल्कि 200 तक पहुंच सकता है। लापरवाही के कारण यह खतरनाक स्तर पर पहुंच जाती है। शुगर की दवाई को बंद करते हैं तो बेस लाइन से काफी आगे खतरा होता है।
– डॉ. पवन सारडा, प्रोफेसर, कार्डियोलॉजी विभाग, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज, जोधपुर
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ज्यादा दिन स्किप किया तो खतराक्रोनिक बीमारी जिसमें शुगर, बीपी और गंठिया है, तो ऐसी बीमारियों में दवा ङ्क्षजदगी भर लेनी होती है। शुगर या बीपी का लेवल फ्लक्चवेट करता है। यदि 7 दिन से ज्यादा कोई लगातार दवाइयां स्किप करता है तो उसके शरीर पर खतरा हो सकता है। वैसे तो एक-दो दिन से ज्यादा दिन भी स्किप करना कई लोगों के शरीर पर प्रभाव डालता है।
– अरविंद कुमार जैन, प्रोफेसर व हेड मेडिसिन, डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज, जोधपुर