ये हैं सनसिटी के आरके पुरोहित, जिन्हें शहर के लोग प्यार से ‘लालजी’ के नाम से पुकारते हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी ‘लालजी’ आज खेलों से मिली प्रेरणा से अन्य क्षेत्रों मेें भी युवाओं का कॅरियर संवार रहे हैं। एक्सपोज रिपोर्टर ने अर्जुन अवार्डी पुरोहित से बात की।
READ ALSO: ‘जोधपुर के लाल’ ने US में किया कमाल, उत्पादन बढ़ाने के लिए ‘फंगस’ से बनाई खाद देश का अच्छा नागरिक बन सकता है खिलाड़ी लालजी का मानना है कि खेलने से खिलाड़ी में जो गुण स्वत: ही विकसित होते हैं। वे सिखाने से भी नहीं आते। खिलाड़ी में लडऩे की क्षमता, समर्पण, कठिन परिश्रम और इमोशनल अटैचमेंट आदि गुणों का विकास होता है, जो एक व्यक्ति के लिए हर क्षेत्र में जरूरी होता है। इसलिए खेलने से व्यक्ति भले ही खिलाड़ी नहीं बने, लेकिन देश का अच्छा नागरिक बन सकता है।
खेल से अलग संवारा युवाओं का कॅरियर लालजी ने वॉलीबाल से संन्यास लेने के बाद एचआर मैनेजर के रूप में नौकरी की और खेल से मिली प्रेरणा को अपने अधीन कर्मचारियों में भरते हुए एक सफल एचआर मैनेजर कहलाए। एक निजी कंपनी में बतौर डायरेक्टर काम कर रहे लालजी ने कई ऐसे युवाओं को नौकरी दी, जिनके पास अनुभव की कमी थी। इन्होंने जोधपुर के गांवों के साथ-साथ शहर के इंजीनियरिंग कॉलेज से युवाओं को कंपनी में लगाया और उन्हें एक पहचान दी।
READ ALSO: हमारे वतन में ‘वजूद’ तलाश रहे पाक विस्थापित मासूम, कांटों की छांव में पल रहा बचपन देश को दिए इंटरनेशनल खिलाड़ी अर्जुन अवार्डी आरके पुरोहित ने नवंबर 1983 में जापान के टोक्यों में आयोजित तृतीय एशियन वॉलीबाल चैंपियनशिप में इंडिया टीम का प्रतिनिधित्व किया और इसके बाद इन्होंने खेल से अलविदा कहा, लेकिन इससे पहले इन्होंने गोपालराम, बजरंग सेामानी और कीर्ति कुमार जैसे खिलाड़ी इंडिया टीम को दिए। अब पुरोहित एक बार फिर शहर की खेल प्रतिभाओं को संवारने की तैयारी में जुटे हैं।
इन्होंने शहर के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्लेयर्स के साथ मिलकर एक ग्रुप बनाया है। इसके जरिए वे फिर से बास्केटबाल, वॉलीबाल और फुटबाल के उदीयमान खिलाडि़यों को नि:शुल्क प्रशिक्षण देंगे। इनका कहना है कि बेहतर प्रशिक्षण देने से शहर की खेल प्रतिभाएं आगे आएंगी और उन्हें अनुभवी प्रशिक्षकों से बेहतर जानने को मिलेगा।