जोधपुर

Ganesh Chaturthi 2022 : यह विनायक युवाओं के है नायक …जाने कहां है यह गणपति मंदिर और उसका इतिहास

साल में एक बार अनंत चतुर्दशी के दिन होते है चरण अभिषेक
जोधपुर के गणेश मंदिर-1

जोधपुरAug 24, 2022 / 04:35 pm

Nandkishor Sharma

Ganesh Chaturthi 2022 : युवाओं में सर्वाधिक लोकप्रिय है रातानाडा गणेश मंदिर

जोधपुर. सूर्यनगरीवासियों का प्रमुख आस्था स्थल रातानाडा गणेश मंदिर युवा वर्ग में सर्वाधिक लोकप्रिय है। प्रत्येक बुधवार को दर्शनार्थियों में सर्वाधिक संख्या युवा वर्ग की होती है। मंदिर की विशेषता यह है कि गणपति बप्पा प्रतिमा को जिस कोण से दर्शन करते है उनके अद्वितीय रूप नजर आते है। मंदिर में गणपति बप्पा के साथ रिद्धि-सिद्धि की सुंदर प्रतिमाएं स्थापित है। ऐसा भी कहा जाता है कि दिन के प्रहर में गणेश के भिन्न भिन्न रूप में दर्शन होने के कारण परिवर्तनकारी गणेश भी कहा जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि रातानाडा मंदिर से विवाह के लिए विनायक लाकर जो व्यक्ति विवाह स्थल परिसर में विराजित करता है तो विवाह निर्विघ्न रूप से संपन्न होता है। साल में एक बार अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति मूर्ति का चरण अभिषेक किया जाता है। इसमें भक्तों की ओर से लाई जाने वाली विभिन्न धातुओं की मूर्तियों का भी अभिषेक होता है। प्रत्येक गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक मेले का आयोजन होता है लेकिन विगत दो साल से कोविड गाइडलाइन के कारण मेला स्थगित रहा था।
विक्रम संवत 1857 में बना था छोटा सा मंदिर

सदियों पहले प्राकृतिक चट्टान में करीब आठ फीट ऊंची और पांच फीट चौड़ी गणेश मूर्ति का प्राकट्य हुआ। बाद में विक्रम संवत 1857 में पहाड़ी पर एक छोटा मंदिर बनाया गया। वर्तमान में देवस्थान विभाग के राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार वाले गणेश मंदिर में शाकद्वीपीय ब्राह्मणों का वंशानुगत परिवार ही पांच पीढिय़ों से पूजा अर्चना करता है। मंदिर के पुजारी प्रदीप शर्मा ने बताया कि वाहनों में तीर्थ स्थलों की हर धार्मिक यात्रा के सफर की शुरुआत और समापन रातानाडा गणेश मंदिर दर्शन से ही करने की परम्परा है। जोधपुर में प्रत्येक तीसरे साल पुरुषोत्तम मास के दौरान भोगिशैल परिक्रमा का शुभारंभ व समापन भी रातानाडा गणेश के दर्शन से ही होता है।
हर मांगलिक कार्य का प्रथम निमंत्रण रातानाडा गणेशजी को

जोधपुर शहरवासी घर में प्रत्येक मांगलिक कार्य का प्रथम निमंत्रण प्रथम पूज्य रातानाडा गणेशजी को देने पहुंचते है। शुभ दिन व मुहूर्त में मंदिर में विधिवत मिट्टी के मांडणेयुक्त एक पात्र में गणेशजी को प्रतीकात्मक मूर्ति के रूप में स्थापित कर गाजे-बाजों के साथ घर पर लाया जाता है और मांगलिक कार्य पूर्ण होने के बाद पुन: आभार सहित मंदिर पहुंचाया जाता है।

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