जोधपुर ग्रामीण और फलोदी में अलग से सीएमएचओ लगाए गए हैं। इनको फील्ड वर्किंग के टारगेट भी दिए हैं, लेकिन संसाधन कुछ नहीं। ग्रामीण सीएमएचओ को तो अलग से कार्यालय तक नहीं दिया गया है। मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए अल्प कालीन कर्मचारी जो लगाए गए हैं, उसके अलावा किसी प्रकार की मॉनिटरिंग तक नहीं है। ग्रामीण सीएमएचओ प्रताप सिंह बताते हैं कि पार्ट टाइम कर्मचारी तो हमने सर्वे के लिए लगाए हैं, जो कि लार्वा एक्टिव व सर्वे करेंगे। इसके अलावा सरकार ने नए अधिकारियों की स्वीकृति नहीं दी है।
कार्रवाई के लिए उधार का लवाजमा
खाद्य सुरक्षा के लिए शहरी सीएमएचओ के अधीन चार अधिकारी कार्यरत है, लेकिन ग्रामीण में एक भी नहीं। ऐसे में यदि जोधपुर ग्रामीण व फलोदी में कार्रवाई करनी हो तो शहर से लवाजमा उधार लेना पड़ता है।ड्रग इंस्पेक्टर भी नहीं
औषधि नियंत्रण व जांच के लिए भी अलग से अधिकारी नहीं है। जोधपुर में ड्रग कंट्रोलर के साथ इंस्पेक्टर लगे हुए हैं, लेकिन जोधपुर ग्रामीण व फलोदी जिलों को अलग से कोई अधिकारी नहीं दिया गया है।शिकायत पर कार्रवाई कैसे करें
प्रसव पूर्व भ्रूण जांच जो कि सबसे महत्वपूर्ण है, उसे नए बने जिलों में अधिकार ही नहीं दिए गए हैं। शिकायत आती भी है तो शहरी अधिकारियों से जांच करवानी पड़ती है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रफल काफी लम्बा है। यह भी पढ़ें