भारतीय वायुसेना के पास पहले से ही 22 अपाचे हेलीकॉप्टर की स्क्वाड्रन है, जो 2022 तक पूरी हो गई थी। आर्मी के लिए अपाचे हेलीकॉप्टरों की खरीद के लिए फरवरी 2020 में तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा के दौरान लगभग 800 मिलियन डॉलर में समझौता हुआ था।
समझौते के अनुसार इनकी डिलिवरी मई 2024 में होनी थी, लेकिन बोइंग की सप्लाई चैन में गड़बड़ी आ गई। बोइंग की एरिजोना स्थित फैक्ट्री में अपाचे हेलीकॉप्टर में लगने वाले इंजन, हार्ड पॉइंट, गियर्स, फिन, हथियारों जैसे 22 कम्पोनेंट आसानी से उपलब्ध नहीं होने सेे हेलीकॉप्टर असेम्बल में परेशानी हो रही थी। अब यह दिक्कत दूर हो गई है।
आर्मी पहली बार करेगी संचालन
जोधपुर के पास आर्मी की एविएशन कोर है। अपाचे हेलीकॉप्टर के लिए यहां इस साल मार्च में 451वीं स्क्वाड्रन स्थापित की गई है, जहां 6 अपाचे हेलीकॉप्टर तैनात होंगे। आर्मी पहली बार अपाचे हेलीकॉप्टर का संचालन करेगी। भारतीय वायुसेना ने 2015 में ही अपाचे का ऑर्डर दे दिया था।दूसरा अटैक हेलीकॉप्टर होगा
अपाचे सेना की रेंज में दूसरा अटैक हेलीकॉप्टर होगा। वर्तमान में एयरफोर्स के पास स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर प्रचण्ड है। इसके अलावा एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर रुद्र का सशस्त्र संस्करण भी है। अपाचे दुनिया का सबसे उन्नत मल्टीरोल लड़ाकू हेलीकॉप्टर है, जिसका उपयोग अमरीकी सेना और कुछ अन्य देश करते हैं। भारत अपाचे लेने वाला 16वां देश है। यह भी पढ़ें