ऐसे तैयार की स्ट्रिप
वर्तमान में स्ट्रिप सिलियम और गेलियम नाइट्राइड जैसे तत्वों से बनती है, जो महंगी होती है। आईआईटी ने लैब में कागज पर हाइड्रोफिलिक कोटिंग और विभिन्न केमिकल रिएजेंट से मोडिफाई किया जो अलग-अलग सांद्रता में अलग-अलग रंग छोड़ते हैं, इसलिए जब स्ट्रिप पर जब रक्त की बूंद डालते हैं तो ग्लूकोज के लेवल के अनुसार यह अलग-अलग रंग बताती है।
वर्तमान में स्ट्रिप सिलियम और गेलियम नाइट्राइड जैसे तत्वों से बनती है, जो महंगी होती है। आईआईटी ने लैब में कागज पर हाइड्रोफिलिक कोटिंग और विभिन्न केमिकल रिएजेंट से मोडिफाई किया जो अलग-अलग सांद्रता में अलग-अलग रंग छोड़ते हैं, इसलिए जब स्ट्रिप पर जब रक्त की बूंद डालते हैं तो ग्लूकोज के लेवल के अनुसार यह अलग-अलग रंग बताती है।
इन्होंने किया शोध
आईआईटी जोधपुर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अंकुर गुप्ता, विनय किशनानी, निखिल कश्यप और शिवम शशांक ने यह डिवाइस तैयार की है। यह शोध एसीएस पब्लिकेशन्स में प्रकाशित हुआ है।
आईआईटी जोधपुर में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अंकुर गुप्ता, विनय किशनानी, निखिल कश्यप और शिवम शशांक ने यह डिवाइस तैयार की है। यह शोध एसीएस पब्लिकेशन्स में प्रकाशित हुआ है।
हमारा शोध अभी प्रारंभिक अवस्था में है। वर्तमान में केवल ग्लूकोज टेस्ट में सफलता मिली है। धीरे-धीरे कैंसर सहित अन्य संक्रामक बीमारियों को लेकर भी इस पर शोध होगा। इससे आम जनता को कम लागत में घर बैठे उनके स्मार्टफोन पर रिजल्ट मिल जाएंगे।
-डॉ अंकुर गुप्ता, मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी, जोधपुर
-डॉ अंकुर गुप्ता, मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी, जोधपुर