जोधपुर

राजस्थान में देरी से शुरू हुई कपास की बुवाई, जानें बड़ी वजह

Cotton Sowing Started Late : राजस्थान में कपास को सफेद सोना के नाम से भी पुकारते हैं। अगर सब कुछ ठीक रहे तो सफेद सोना किसान को मालामाल बना देता है। पर इस बार कपास की बुवाई देरी से शुरू हुई है। जिस वजह से किसान सहमे हुए हैं। जानें कपास की बुवाई की देरी की बड़ी वजह क्या है।

जोधपुरJul 06, 2024 / 07:04 pm

Sanjay Kumar Srivastava

राजस्थान में देरी से शुरू हुई कपास की बुवाई, जानें बड़ी वजह

Cotton Sowing Started Late : राजस्थान में मानसून आ चुका है। कई जिलों में झमाझम बारिश हो रही है। इस बार जिले में खरीफ सीजन के फसलों की बुवाई कुछ देरी से शुरू हुई है। कपास की फसल की बुवाई में भी देरी हुई है। वैसे तो कपास फसल की बुवाई 15 मई से शुरू होकर जून के तीसरे सप्ताह में खत्म हो जाती है। पर इस बार जून के तीसरे सप्ताह में कपास के फसल की बुवाई शुरू हुई है यह जुलाई के पहले सप्ताह तक जारी रहेगी। किसानों का मानना है कि मानसून आने से पूर्व, कपास की बुवाई करने पर बीज का सही ढंग से अंकुरण हो जाता है। इस बार तेज गर्मी और बढ़े तापमान की वजह से कपास की बुवाई में देरी हुई है। जिससे किसान सहमे हुए हैं।

वर्ष 2023 में कपास की बुवाई में हुआ नुुकसान

जोधपुर जिले में वर्ष 2023 में कपास की बुवाई का रकबा 80 हजार हेक्टेयर से अधिक था। पर कपास की फसल को रोग लगने की वजह से पैदावार बहुत कम हुई। फिर कपास चुनने की मजदूरी देनी पड़ती है। यह भी कपास की खेती में आई लागत में जुड़ता है। वर्ष 2022 के मुकाबले वर्ष 2023 में बाजार भाव में भारी गिरावट आई थी, जिस वजह से कपास के किसानों को नुकसान उठाना पड़ा।
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लागत और देरी से हुई बुवाई से किसान परेशान

इस बार भी कपास के किसानों में एक डर है। इस बार मई महीने में तेज गर्मी और असामान्य तापमान का असर जून महीने तक रहा है। जिसकी वजह से कपास की फसल बुवाई इस सीजन में देर से हुई। यह कपास की फसल की बुवाई में देरी की सबसे बड़ी वजह है। कपास की खेती की लागत किसानों को सोचने पर मजबूर कर देती है।

रोग कीट से बचने का करें उपाय

भारतीय किसान संघ के प्रदेश मंत्री तुलछाराम सिवर ने बताया कि किसान अनुभवी किसानों व विशेषज्ञों से सलाह लेकर पूर्व में ही रोग कीट से बचने के उपाय करें।

राजस्थान में 6.72 लाख हेक्टैयर में होती है कपास की खेती

कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार विश्व में भारत का कपास उत्पादन क्षेत्र में प्रथम स्थान है। देश में करीब 133.41 लाख हेक्टैयर तथा राजस्थान में 6.72 लाख हेक्टैयर में कपास की खेती की जाती है।
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