मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से कोर्ट ने ली राय
इससे पूर्व कोर्ट ने 21 जून को संबंधित जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को एक मेडिकल बोर्ड गठित कर गर्भवती पीड़िता का स्वास्थ्य परीक्षण करने के निर्देश दिए थे। बोर्ड को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट (एमटीपी) के तहत इस संबंध में राय देने को कहा गया था कि गर्भपात की अनुमति दिया जाना सुरक्षित है या नहीं। यह भी पढ़ें – रेलवे का बड़ा फैसला, 1 जुलाई से ट्रेनों के नंबरों से नहीं हटेगा जीरो, स्पेशल का दर्जा रहेगा बरकरार