नंद लाल को 20 अगस्त 2016 को जैसलमेर में इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) सहित विभिन्न खुफिया एजेंसियों के संयुक्त ऑपरेशन में गिरफ्तार किया गया था। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान से जुड़ा जासूसी नेटवर्क उजागर हुआ था। पिछले साल 22 फरवरी को जयपुर की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) कोर्ट ने नंद लाल को दोषी ठहराते हुए सात साल कैद की सजा सुनाई।
हाईकोर्ट की अनुमति जरूरी
दरअसल नंद लाल को निर्वासित करने के लिए हाईकोर्ट की अनुमति जरूरी थी, क्योंकि 1 सितंबर 2017 को हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश पारित किया था, जिसमें सुरक्षा से जुड़ी विशेष परिस्थितियों के बिना अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े पाकिस्तानी विस्थापितों को देश से बाहर निर्वासित करने पर रोक लगाई गई थी।राजस्थान सरकार ने देश वापसी पर अनापत्ति जताई
खंडपीठ ने पाया कि गृह मंत्रालय ने नंद लाल को निर्वासित करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में 30 दिसंबर 2024 को गृह मंत्रालय ने सूचित किया कि नंद लाल के खिलाफ कोई अपील या अन्य मामला लंबित नहीं है और राजस्थान सरकार ने उसकी देश वापसी पर अनापत्ति जताई है। कोर्ट को बताया कि कुल तीन पाकिस्तानी नागरिक बंदियों को निर्वासित किया जाना है, जिनमें से एक नंद लाल राजस्थान में है। गृह मंत्रालय ने राजस्थान और अन्य राज्यों को निर्देश दिया है कि इन पाक नागरिकों को 7 फरवरी को अटारी बॉर्डर ले जाया जाए, जहां उन्हें पाकिस्तानी रेंजर्स को सौंपा जाएगा।