इससे पहले खंडपीठ ने गृह सचिव की ओर से हाजिरी माफी का आवेदन मिलने पर खंडपीठ में मौजूद गृह विभाग के उप सचिव, स्थानीय अधिकारियों सहित एएजी राजेश पंवार के माध्यम से पेश हुए अधिकारियों को जमकर आड़े हाथों लिया और सरकार द्वारा जोधपुर की उपेक्षा करने बाबत तल्ख मौखिक टिप्पणियां की।
खंडपीठ ने कहा, यहां खुलेआम मर्डर हो रहा है और गृह सचिव साहब का आवेदन आया है कि वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में बीजी हैं। पिछले चार दिनों में जयपुर में क्या सोचा गया। जोधपुर की इस हालत के बारे में कोई बैठक हुई या कोई मैसेज आया। क्या प्लान है सरकार को शहर में गुंडागर्दी रोकने का। अपराधियों को पकडऩे का एक्शन प्लान है या नहीं। अरे, थोड़ी बहुत शर्म बाकी हो तो सचिव महोदय कल दोपहर दो बजे तक पेश होकर कोर्ट में जवाब दे देना। क्योंकि यह घटना तो एक चिनगारी है। भड़क उठी तो सभी जल जाएंगे। यहां के अधिकारियों को बार-बार बुलाकर 12 अगस्त को, 5 जुलाई को बार-बार पूछा गया। हर बार सब कुछ ठीक होने का भरोसा दिलाया, लेकिन फिर भी खुलेआम मर्डर हो गया।
गृह सचिव के आवेदन पर टिप्पणी करते हुए याचिकाकर्ता अधिवक्ता अशोक छंगाणी ने कहा कि सचिव की ओर से जानबूझ कर यह किया गया है। कोर्ट ने 18 सितंबर को उनको तलब किया था, जबकि जिस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का जिक्र किया गया, वह 20 सितंबर को थी, लेकिन उसे 22 सितंबर का करते हुए आने से बचाव किया गया है। इस पर एएजी पंवार ने विरोध किया, तो खंडपीठ ने कहा, इश्यू यह नहीं है। इश्यू यह है कि प्रदेश के दूसरे बड़े शहर के हालात को कितना लपारवाही से लिया जा रहा है। खंडपीठ ने यह भी मौखिक रूप से कहा कि कोर्ट के बुलावे पर नहीं आने पर गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया जा सकता है। पहले भी अधिकारियों के नहीं पेश होने पर उनको निलंबित किया गया है।