गौरतलब हैं कि गत दिनों लगातार बारीश का दौर चला था। बरसात का पानी मैदानी व पत्थरीले भागों से बहकर यहां तक आ पहुंचा। ग्रामीणों ने बताया कि 5 अगस्त की रात को अचानक सभी घरों व खेतों में बाढ़ ने दस्तक दे दी। सवेरे होते- होते कई किलोमीटर का ईलाका पानी के समदर रूप में तब्दील हो गया। घरों से बाहर पैर रखने तक रास्ता बंद हो गया। आनन- फानन में यहां से करीब 17- 18 परिवार अपने घरों से जैसे – तैसे निकलकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचे। यहां पर खड़ी किसानों की फसलें जलमग्न होने से बर्बाद हो चुकी हैं। कृषि सिंचित इलाका होने से यहां पर दर्जनों नलकूप भी इसी पानी में डूब चुके हैं।
किसानों के टेक्टर आदि यहां पर पानी में समा चुके हैं। कई पशुधन को बाहर नहीं निकाल पाने से वो मौत के मुंह में जा चुके हैं। प्रशासन की ओर से इन परिवारों को अभी मदद का इंतजार हैं। वहीं पानी के निस्तारण नहीं होने से रास्ते अवरूद्ध हो चुके हैं। ग्रामीणों का कहना हैं कि यहां पर निकटवर्ती भाखरी व चांदसमा, गोविन्दपुरा आदि गांवों से पानी नदी नालों के रूप में बहकर आगे रेतीला टीला होने से जमा हो रहा हैं। कुछ इसी तरीके के हालात भीवसागर के राजस्व गांव रूपनगर व बुड़किया के बांकासर गांवों में बनी हुई हैं। हजारों हैक्टेयर भू- भूभाग जलमग्न हैं। फसले पानी मे डूब गई हैं। पानी की निकासी नहीं हो रही हैं। घरों को भारी नुकसान पहुंचा हैं। हालातों से निपटने के लिये सरकार व प्रशासन की ओर से उचित कदम उठाने की जरूरत हैं।