अस्पताल अधीक्षक डॉ. अरविन्द सिन्हा ने बताया कि अभी तक लेप्रोस्कोपी में चिकित्सक मरीज के शरीर में दूरबीन डालते हैं, तो स्क्रीन पर २-डी स्तर पर ही पिक्चर दिखती है। हाथ से औजार को मूव करते हैं। इस तकनीक में जिस जगह सर्जरी करनी है, वहां गहराई का पता नहीं चलता है। रोबोट सर्जिकल सिस्टम में चिकित्सक ३-डी तकनीक से सर्जरी वाले हिस्से को देख सकेंगे। इसमें चिकित्सक मरीज से दूर बैठकर रोबोट से औजारों को मूव करा सकते हैं। इससे चिकित्सक के हाथ स्थिर न रहने या हिलने जैसी समस्या नहीं रहेगी।
रोबोट का मूवमेंट बिल्कुल सटीक रहता है। एम्स में ९ नवंबर तक मरीजों पर इसका डेमो कर सर्जरी की जाएगी। डॉ. सिन्हा ने बताया कि देश में ऐसे रोबोट सर्जिकल सिस्टम १५ से ज्यादा नहीं आए हैं। ये मशीन अमरीका से आई हैं। इसकी कीमत १० करोड़ रुपए है। मशीन अलग-अलग रेंज में ३० करोड़ रुपए तक आती है। एम्स जोधपुर ने २८ करोड़ रुपए की लागत की मशीन खरीदने का प्लान किया है।
जटिल प्रोसिजर होंगे आसान
राजस्थान में इस सिस्टम से पहली बार सर्जरी एम्स में ही की जाएगी। अभी इस सिस्टम को एम्स प्रशासन ने खरीदा नहीं है, लेकिन डेमो की सफलता के बाद २ से ३ माह में इसे खरीद कर मरीजों की सर्जरी के लिए नियमित सेवाएं शुरू कर दी जाएगी। इससे जटिल प्रोसिजर पहले से ज्यादा आसान हो जाएगा। इसमें मूत्र विज्ञान विभाग, स्त्री रोग विभाग, सामान्य सर्जरी विभाग, ओंको सर्जरी विभाग, कान नाक एवं गला विभाग के मरीजों को इसका लाभ सबसे ज्यादा होगा।
राजस्थान में इस सिस्टम से पहली बार सर्जरी एम्स में ही की जाएगी। अभी इस सिस्टम को एम्स प्रशासन ने खरीदा नहीं है, लेकिन डेमो की सफलता के बाद २ से ३ माह में इसे खरीद कर मरीजों की सर्जरी के लिए नियमित सेवाएं शुरू कर दी जाएगी। इससे जटिल प्रोसिजर पहले से ज्यादा आसान हो जाएगा। इसमें मूत्र विज्ञान विभाग, स्त्री रोग विभाग, सामान्य सर्जरी विभाग, ओंको सर्जरी विभाग, कान नाक एवं गला विभाग के मरीजों को इसका लाभ सबसे ज्यादा होगा।