इसमें बताया कि आरक्षित कोच में सफर करने के दौरान उनके कीमती सामान और रुपए चोरी हो गए। एफआईआर दर्ज करवाई, लेकिन रेलवे ने जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया। यात्रियों ने रेलवे से हर्जाना मांगा। रेलवे की ओर से जवाब में कहा कि बिना बुक कराए गए सामान की जिम्मेदारी विभाग की नहीं होती। आयोग ने दोनों पक्षों को सुनकर उपभोक्ताओं के पक्ष में फैसला किया।
पहला मामला
जोधपुर से दिल्ली प्रथम श्रेणी में यात्रा के दौरान यात्री विनय के पर्स में रखे 15 हजार रुपए, मोबाइल व दस्तावेज चोरी हो गए। दिल्ली में एफआईआर दर्ज करवाई तथा कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत दी। कोर्ट ने रेलवे को यात्री के मोबाइल की कीमत तथा 15 हजार रुपए हर्जाना देने का आदेश दिया।
दूसरा मामला
राजस्थान संपर्क क्रांति में दिल्ली से जोधपुर यात्रा के दौरान यात्री शिल्पा का पर्स, मोबाइल व अन्य सामान चोरी हो गया। रेलवे पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कर बताया कि कोच में अनाधिकृत व्यक्ति आ जा रहे थे। कंज्यूमर कोर्ट ने चोरी हुए सामान की कीमत के 50 हजार रुपए तथा 15 हजार रुपए हर्जाना देने का आदेश दिया।