पुलिस महानिरीक्षक रेंज जोधपुर की साइक्लोनर टीम ने ऑपरेशन तमस के तहत छह साल से फरार मादक पदार्थ तस्करी के 40 हजार रुपए के इनामी को गुजरात के नवसारी में एक मकान से पकड़ लिया। वह राज्य के टॉप-25 वांछितों में शामिल था और उसे पकड़ने के लिए पुलिस ने नेपाल, निम्बाहेड़ा और मुम्बई में दबिश दी थी, लेकिन चौथे प्रयास में वह पकड़ा गया।
आइजी रेंज विकास कुमार नेबताया कि बाड़मेर जिले में बलाऊ गांव निवासी प्रकाश चाहर वर्ष 2018 से फरार था। कार चोरी, अवैध हथियार और मादक पदार्थ तस्करी के सात मामलों में वांछित था। एडीजी क्राइम ब्रांच ने उसे टॉप-25 वांछितों में शामिल कर 40 हजार रुपए का इनाम रखा था। रेंज स्तरीय कन्ट्रोल रूम में एक व्यक्ति ने प्रकाश के बारे में गोपनीय सूचना दी। उससे मिले सुराग के आधार पर साइक्लोनर टीम मुम्बई पहुंची, जहां से गुजरात के नवसारी में बिल्ली मोरा क्षेत्र पहुंची, लेकिन सूचना देने वाले का मोबाइल बंद हो गया था। लोकेशन के आधार पर पुलिस ने मजदूर बनने का स्वांग रचा और मजदूरी के लिए घूमने लगी। इस बीच, एक दुकान पर बैठा सेल्समैन मजदूरी दिलाने के लिए पुलिस को एक मकान में ले गया, जहां कुछ मजदूर थे। इनमें शामिल एक युवक आराम करता नजर आया। दूसरे श्रमिक उसे पीसी कहकर बुला रहे थे। वांछित का नाम प्रकाश चाहर होने से पीसी सुन पुलिस को संदेह हो गया।
श्रमिकों से पूछने पर पता लगा कि वह बाड़मेर का है और यहा बुआ के लड़के से मिलने आया है। पुलिस के पास भी यही सूचना थी। वह आस-पास के लोगों से मोबाइल मांगकर बात करता था। इस बीच, उसने अपने साले को कॉल करने के लिए वहां मौजूद एक व्यक्ति से मोबाइल मांगा। इससे संदेह पुख्ता हो गया और पुलिस ने पीसी को पकड़ लिया। पूछताछ करने पर उसके बलाऊ गांव निवासी प्रकाश चाहर पुत्र रूगाराम जाट होने की पुष्टि हुई। उसे जोधपुर लाकर संबंधित थाना पुलिस को सौंपा गया। वह जालोर, पुलिस कमिश्नरेट जोधपुर, सिरोही व बाड़मेर में आरोपी रहा है। कार्रवाई में कांस्टेबल देवाराम, जोगाराम, राकेश व तकनीकी सहयोग में कांस्टेबल मनीष परमार शामिल थे।
छत पर पार्टी में था, पुलिस देख कूदकर भागा
साइक्लोनर टीम पिछले तीन महीने से उसकी तलाश में थी। तकनीकी जांच में उसके चित्तौड़गढ़ के निम्बाहेड़ा में होने की सूचना मिली। पुलिस निम्बाहेड़ा पहुंची तो वह एक मकान की छत पर पार्टी करते नजर आया। पुलिस को देख वह कांटों से भरी पहाड़ी पर कूदकर भाग गया था। कुछ दिन बाद रिश्तेदार ने कन्ट्रोल रूम में कॉल कर उसके मुम्बई में होने की सूचना दी। जो लोगों से मोबाइल मांगकर बात कर रहा था। ट्रेन की आवाज आने से उसके लोकल ट्रने में होने की आशंका जताई गई थी। पुलिस मुम्बई पहुंची तो आरोपी के नवसारी जाने का पता लगा, जहां उसका बुआ का बेटा फर्नीचर का काम करता है। नवसारी के बिल्ली मोरा से पुलिस ने उसे पकड़ लिया।
लकड़ी का काम करते तस्करी में कदम रखा था
आरोपी प्रकाश ने मामा के साथ उदयपुर में लकड़ी का काम किया था। मार्बल वालों से जान पहचान होने पर उसने तस्करी शुरू कर दी थी। वह वर्ष 2014 से तस्करी में लिप्त था। तस्करी में चोरी की कार उपयोग में लेने पर कार चोरी और अवैध हथियार के मामलों में वांछित हो गया था। एनडीपीएस एक्ट के दो मामलों में वह पकड़ा गया था। इसके बाद वह रुपए देकर लोगों से मादक पदार्थ सप्लाई करवाने लग गया था। वह न तो मोबाइल रखता था और न ही कार।
गलत काम में लिप्त, इसलिए ऑपरेशन तमस
आइजी विकास कुमार का कहना है कि आरोपी प्रकाश ड्रग्स तस्करी में लिप्त था। गलत काम करने लगा था। इसलिए उसे पकड़ने के लिए ऑपरेशन का नाम तमस रखा गया था।