आइजी रेंज जोधपुर विकास कुमार के अनुसार वर्ष 2019 में जैसलमेर जिले के रामदेवरा में हथियार की नोंक पर बड़ी लूट हुई थी। लम्बे समय से पकड़े न जाने से भीमदान उर्फ भींवदान चारण पर 20 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया था। उसके महाराष्ट्र के नासिक में मर्म पर्वतीय क्षेत्र में छुपे होने की सूचना मिली। इसका पता लगने पर पुलिस पर्वतीय क्षेत्र पहुंची, लेकिन तब तक वह गायब हो चुका था। इस बीच, उसके नागौर जिले के गोटन में एक (यजमान) भक्त के स्थान पर तंत्र क्रिया करने की पुख्ता सूचना मिली। पुलिस ने भक्त को भरोसे में लिया और उससे आरोपी भीमदान के संबंध में सूचनाएं संकलित की। पुलिस भक्त बनकर खारिया खंगार गांव में आरोपी के स्थान पहुंची, जहां निश्चिंत भीमदान ने पुलिस को बैठने का इशारा किया और ‘जयभैरूगिरीबाबा’ बोलने का आह्वान किया। यह सुनते ही पुलिस को उसके भीमदान होने की पुष्टि हो गई।
पुलिस ने तंत्र विद्या में लिप्त भीमदान की पीठ पर हाथ थपथपाते हुए अपना परिचय दिया और साथ चलने के लिए खड़ा किया। यह सुनते ही भीमदान के पैरों तले जमीन खिसक गई। पुलिस उसे हिरासत में लेकर जोधपुर पहुंची और पूछताछ की। लूट की वारदात स्वीकारने पर उसे रामदेवरा थाना पुलिस को सौंप दिया गया। पुलिस ने बीकानेर में देशनोक निवासी भीमदान उर्फ भींवदान 35 पुत्र मोहनदान चारण को गिरफ्तार किया। उससे पूछताछ की जा रही है। कार्रवाई में एसआई कन्हैयालाल, हेड कांस्टेबल महिपालसिंह, कांस्टेबल रोहिताश, झूमरराम, मनोहर व घासीलाल शामिल थे।
आदिवासी क्षेत्र में फरारी काटी, हथियार बनाने सीखे
पुलिस का कहना है कि अपराधिक गतिविधि में भूमिका सामने आने के बाद वह महाराष्ट्र भाग गया था, जहां अमरावती में फर्नीचर बनाने का काम किया था। इस दौरान दुर्गम आदिवासी क्षेत्र में उसे कथित व्यक्ति चाचा मिला। उसी ने उसे अवैध हथियार बनाने सीखाए थे। वह अब तक अनेक 12 बोर, 315 बोर, 32 बोर के अनेक हथियार बनाकर सप्लाई कर चुका है। पुलिस ने उससे कई हथियार बरामद भी किए गए थे।
पिता की मौत का बदला लेने अपराधी बना
आरोपी भीमदान के पिता की किसी वारदात में मौत हो गईथी। इसका बदला लेने के लिए वह वर्ष 2007 में पहली बार अपराध की दुनिया में उतारा था। उस पर चार जिलों में अवैध हथियार बनाकर सप्लाई करने, लूट, उकैती, हत्या के प्रयास आदि के एक दर्जन मामले दर्ज हैं।
पुलिस से बचने के लिए तांत्रिक का वेश
आरोपी पुलिस से बचने के लिए महाराष्ट्र में छुपता घूम रहा था। उसने साधु का वेश धारण कर लिया। उसने दाढ़ी व बाल बढ़ाए।तंत्र-मंत्र, जादू टोना व ताबीज-टोटकों से पहचान बना ली। हुलिया व वेशभूषा के अलावा नाम भी भीमदान से भैरूगिरी बाबा रख लिया था। तांत्रिका का चोगा पहनकर उसने चार-पांच जिलों में अपने स्थान बना लिए थे।