पब्लिक पार्क : फैक्टफाइल उम्मेद उद्यान की जमीन : 82 एकड़ भवनोंं में गार्डन व जू के पिंजरोंं का उस समय कुल खर्च : 6,09,870 रुपए उद्यान के प्रवेश द्वार : 5
उम्मेद उद्यान का उद्घाटन : 1935 में सुमेर लाइब्रेरी बनी : 17 मार्च 1936 लाइब्रेरी सोजती गेट शिफ्ट : जुलाई-अगस्त 2017 सरदार म्यूजियम बना : 1909 में म्यूजियम को लाइब्रेरी की इमारत मिली : जुलाई-अगस्त 2017
वाक इन एवरी बनी :1978 में, बाद में माचिया में शिफ्ट (उम्मेद पार्क का जंतुआलय और चिडि़याघर अब माचिया पार्क में शिफ्ट कर दिए गए हैं।) … इन चीजों को देखते हुए ही बड़े हुए
उम्मेद उद्यान का महाराजा उम्मेदसिंह और भारत के पूर्व वायसराय गर्वनर जनरल ऑफ इंडिया लॉर्ड विलिंगडन ने विधिवत उदघाटन किया था। मिस्टर गोल्ड स्ट्राइन इसके भव्य भवनों के वास्तुविद थे। शहर के बाशिंदों, आम जनता और पर्यटकों का शिकवा यह है कि काश सुमेर पब्लिक पार्क , जंतुआलय और चिडि़याघर इस पब्लिक पार्क का हिस्सा ही रहते और माचिया पार्क शिफ्ट न होते तो अच्छा रहता। उनका मानना है कि इस शहर के अधिकतर लोग पब्लिक पार्क में इन चीजों को देखते हुए ही बड़े हुए हैं। पर्यटकों को भी यह बात बहुत अखरती है कि इस पार्क की ये खास चीजें यहां से शिफ्ट कर दी गईं।
बहुत कुछ बदल गया आज यहां वन विभाग का कार्यालय भी है। पार्क के बीच में और जनाना पार्क में बावड़ी बनी हुई है। इसका जलापूर्ति के दृष्टिकोण से इस्तेमाल किया जा सकता था। पहले पब्लिक पार्क के सभी गेट खुले थे और यहां सभी तरह के वाहन आते थे। इससे ध्वनि व वायु प्रदूषण की शिकायत से जुड़ी एक जनहित याचिका पर न्यायालय के आदेश से गेट बंद कर यहां वाहनों का आवागमन बंद किया गया। इससे पार्क में प्रदूषण नहीं होता है। यहां पहले जनाना पार्क पब्लिक पार्क का हिस्सा था, जहां लोग आ जा सकते थे। आज यह पार्क का हिस्सा नहीं है। (आगे पढ़ें भाग-2)
-एम आई जाहिर