कोविड पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है और बच्चों की ऑनलाइन स्टडी इतनी बेहतर नहीं रही। स्कूल पूर्ण रूप से खुल रहे है, लेकिन अभी तक की स्टडी में बच्चों को कोरोना ने विशेष नुकसान नहीं दिया है। पूर्ण संभावनाएं हैं कि आगे भी बच्चों को नुकसान नहीं होगा। एमआइएसटी, जो पोस्ट कोविड है, उसका इलाज भी सुलभ है। स्कूल व्यवस्थाएं ऐसी बनाएं कि बच्चे मास्क लगाएं। हाइजिन मेंटेन रखें। ताकि बच्चे ज्यादा वायरस की चपेट में न आएं और न बीमार पड़े। एक बच्चा बीमार पड़े तो उसे तुरंत घर भेज दें और प्रोपर मॉनिटरिंग करें कि उसको क्या बीमारी हुई?
अभी तक तो 50 प्रतिशत हाजरी के साथ बुलाया जा रहा था। सौ प्रतिशत उपस्थिति में खतरा तो रहेगा। इसके अलावा डेंगू फीवरी, जीका वायरस कहर देखने को मिल रहा है। ऐसे में बच्चों को स्कू ल भेजना या गु्रप में भेजना चिंता का विषय है। साथ ही कोरोना का कहर भी थमा नहीं है। मन में घबराहट है। स्कूल प्रशासन से उम्मीद हैं कि पूरा अनुशासन रखे। उनकी जागरूकता व सजगता की अहम भूमिका सामने आनी चाहिए।
विद्यार्थियों को मास्क लगाने के लिए कहा जाएगा। हाथ बराबर सेनिटाइजर करते रहे। सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखेंगे। अभिभावकों का सहयोग लेते हुए बच्चों को जागरूक किया जाएगा। शिक्षक व स्टाफ भी ध्यान रखेंगे।
दिशा-निर्देश के अनुसार सारी तैयारियां कर ली गई है। पूरी क्षमता से विद्यालय संचालित होंगे। शिक्षक, स्टाफ व विद्यार्थी सभी को अनिवार्य रूप से मास्क लगाए रखना होगा।