जोधपुर। मानसून मेहरबान नहीं होने का प्रतिकूल असर मारवाड़ की खेती पर पड़ रहा है। जोधपुर संभाग के 6 जिलों में मानसून बरसात के अभाव में अकाल के हालात बन गए है। क्षेत्र के जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, जालोर जिलों में 50 से 70 प्रतिशत बुवाई हुई थी। उसमें से अधिकांश फ सलें जल गई है। वहीं शेष फ सलों में आने वाले कुछ दिनों बरसात नहीं होने पर पूरी तरह नष्ट होने का खतरा मंडरा रहा है। पश्चिमी राजस्थान के इन जिलों में बारानी क्षेत्र में मुख्यत बाजरा, ग्वार, मूंग, मोठ, तिल की खेती होती है। इन जिलों का खरीफ फ सलों का सामान्य रकबा 48 लाख हैक्टेयर के लगभग होता है। जिसमें से 20 लाख हैक्टेयर सिंचित क्षेत्र है वहीं शेष 28 लाख हैक्टेयर बारानी क्षेत्र है, जहां वर्षा आधारित खेती होती है। इस बार मानसून कमजोर होने से बारानी क्षेत्र में लगभग 15 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो सकी। इसमें से भी अधिकतर फ सलें नष्ट हो गई है और शेष जलने के कगार पर है। सिंचित क्षेत्र की कपास, मूंगफ ली, अरंडी, मूंग आदि फ सलों की स्थिति भी खराब है। — जिलेवार बुवाई की स्थिति जिला– खरीफ बुवाई रकबा– इस बार बुवाई जोधपुर– 13 लाख — 8 लाख बाड़मेर– 15 लाख — 9 लाख जैसलमेर– 7 लाख — 5 लाख जालौर– 6 लाख — 5 लाख सिरोही– 1.50 लाख — 1.30 लाख पाली– 5.50 लाख — 4.50 लाख — जिले में सिंचित क्षेत्र व बारानी की 80 प्रतिशत बुवाई हुई थी, जिसमें से 30 प्रतिशत फ सलें पहले ही नष्ट हो गई। शेष में से 50 प्रतिशत फ सलें जलने के कगार पर है। सिंचित क्षेत्र में भी पानी देर से मिलने से मानूसन के भरोसे ही बुवाई हुई थी वहां भी सिंचाई की आवश्यकतानुसार पानी नहीं मिलने से फ सलें जल रही है। वैणसिंह, जिला मंत्री भारतीय किसान संघ, जैसलमेर — बाड़मेर जिले में 60 प्रतिशत बुवाई हो चुकी थी, जिसमें से 50 प्रतिशत फ सलें अंकुरित होते ही नष्ट हो गई। शेष फ सलें जलने के कगार पर है। अब जल्द बरसात होती है तो सिंचित क्षेत्र की फ सलें बच सकती है। हरिराम मांजू, प्रांत मंत्री भारतीय किसान संघ, जोधपुर प्रान्त